उत्तराखंड में स्कूली शिक्षकों के प्रमोशन हुए सीमित
ऋषिकेश। उत्तराखंड में बेसिक से लेकर इंटर कालेज तक के शिक्षकों के प्रमोशन के मौके को सरकार ने सीमित कर दिया है। शिक्षक की हद हाई स्कूल का हेड मास्टर/ इंटर कालेज का प्रभारी प्रिंसिपल हो गई है।
स्कूली शिक्षा को मजबूत करने और अच्छे परिणाम के लिए जरूरी है कि विभाग में जिला स्तर तक के अधिकारियों के पद शिक्षकों के प्रमोशन से भरे जाएं। विभागीय परीक्षा को इसका माध्यम बनाया जा सकता है। इस समय राज्य के शिक्षा विभाग में उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों ने अपनी सेवा की शुरूआत शिक्षक के रूप में की।
अब शासन ने डिप्टी ईओ के पद का सृजन कर शिक्षकों के प्रमोशन के मौके को सीमित कर दिया है। इसका व्यापक असर 2025 के बाद देखने को मिलगा। दरअसल, जरूरी नहीं की डिप्टी ईओ पद के लिए सेलेक्ट हुए अधिकारी ने स्कूलों में पढ़ाया हो। ऐसा अधिकारी भी सीधे स्कूलों की मॉनिटरिंग करेगा।
बहरहाल, इस पद शिक्षकों के प्रमोशन के चांस सीमित हो गए। बेसिक के शिक्षक बेसिक हेड, जूनियर सहायक या एलटी तक समित रहेगा। एलटी/लेक्चरर पूरे सेवाकाल में टपराते-टपराते हाई स्कूल का हेड और इंटर कालेज का प्रभारी प्रिंसिपल ही बन सकेगा।
इस तरह से स्कूलों की मॉनिटरिंग में स्कूली अनुभव पूरी तरह से नदारद होगा। इसका जगह अफसरशाही होगी। ऐसा दिखने भी लगा है। स्कूलों की मॉनिटरिंग में व्यवहारिकता का भाव समाप्त हो रहा है।
इससे शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों के बीच सामंजस्य कमजोर हो रहा है। शिक्षा नौकरी के खोल में फंसती जा रही है। स्कूल-शिक्षक- समाज का मजबूत त्रिकोण प्रभावित हो रहा है।