हाल-ए- स्कूली शिक्षाः स्कूलों के बाद जिलों में भी प्रभारी

हाल-ए- स्कूली शिक्षाः स्कूलों के बाद जिलों में भी प्रभारी
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। राज्य के अधिकांश सरकारी हाई स्कूल और इंटर कॉलेज बगैर मुखिया के प्रभारी व्यवस्था से चल रहे हैं। अब तो 13 में से तीन जिलों में भी शिक्षा विभाग बगैर मुखिया के प्रभारी व्यवस्था के तहत चल रहे हैं।

स्कूल राज्य के शिक्षा व्यवस्था का दर्पण होते हैं। स्कूलों की व्यवस्था से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हाल क्या है। उत्तराखंड में अधिकांश सरकारी हाई स्कूल और इंटर कॉलेज में मुखिया यानि हेडमास्टर/प्रिंसिपल नहीं हैं। प्रभारी व्यवस्था फलफूल रही है और शिक्षा मुरझा रही है।

इसे स्कूलों में महसूस किया जा सकता है। बस महसूस करने वालां की दरकार भर है। हेडमास्टर/प्रिंसिपल बनने की राह ताक रहे शिक्षक यूं ही रिटायर हो जा रहे हैं। बहरहाल, स्कूल ही नहीं अब तो जिलों में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है। मात्र 13 जिलों वाले राज्य में तीन जिलों में मुख्य शिक्षाधिकारी नहीं है।

देहरादून, अल्मोड़ा और चंपावत ऐसे जिले हैं जहां सीईओ का पद अतिरिक्त प्रभार के रूप में देखा जा रहा है। अब जब जिलों में ही प्रभारी व्यवस्था चल रही है तो स्कूलों में मुखिया की तैनाती में तो समय लगेगा ही। हालांकि बताया जा रहा है कि जल्द तीनों जिलों को मुख्य शिक्षाधिकारी मिल जाएंगे।

Tirth Chetna

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