देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस की रार समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी की इस रार भाजपा खुश है। उसे सरकार को डिफेंड करने की खास जरूरत नहीं पड़ रही है।
कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव की करारी हार की याद को पार्टी के नेता खुद ही रिफ्रेश करने में जुटे हैं। नेताओं की आपसी लड़ाई 2017 के रिजल्ट पर आकर थम जा रही है। बार-बार इसे याद करने से नकारात्मक माहौल साफ दिख रहा है।
इसे भुलकर आगे बढ़ने की पार्टी गति बेहद धीमी हो गई है। सरकार के खिलाफ कांग्रेस के कार्यक्रम अभी प्रभावी होते नहीं दिख रहे हैं। इससे कांग्रेस के बारे में जनता के बीच गलत मैसेज जा रहा है। इस पर पार्टी के नेता गौर करने को तैयार नहीं हैं। सत्ताधारी भाजपा से विभिन्न वजहों से नाराज वर्ग कांग्रेस के अंदुरूनी झगड़ों से हैरान परेशान होकर इधर-उधर की सोचने लगा है।
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को मिल रहे रिस्पांस की बड़ी वजह यही मानी जा रही है। ये बात अलग है कि कांग्रेस अभी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। इस बात का लाभ सीधे-सीधे भाजपा को होता दिख रहा है। भाजपा संगठन को सरकार को डिफेंड करने की खास जरूरत नहीं पड़ रही है।