पौड़ी। सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली पर राज्य में उत्तराखंड क्रांति दल और आम आदमी पार्टी का ही स्टैंड क्लीयर है। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में इसको लेकर स्पष्टता का अभाव है।
2003-04 में केंद्र की तज्कालीन भाजपानीत एनडीएस सरकार ने सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी थी। इसके बदने एनपीएस की व्यवस्था की गई। एनपीएस की हकीकत अब सामने आने लगी है। शिक्षक/कर्मचारी इसे धोखा बताते हुए पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं।
10-12 सालों से देश भर में इसको लेकर गांधीवादी तरीके से आंदोलन चलाए जा रहे हैं। मगर, अभी तक सरकारों ने आंदोलन को खास तवज्जो नहीं दी। मगर, अब पुरानी पेंशन बहाली देश में बड़ा मुददा बन गया है। ये मुददा अब पॉलिटिकल क्लास को डराने लगा है। हालांकि विभिन्न दलों की सरकारें नाना तरीकों से इस मुददे को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। मगर, ऐसा हो नहीं पा रहा है।
उत्तराखंड में यूकेडी और आप सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के मामले में स्टैंड क्लीयर कर चुके हैं। दोनों दल पुरानी पेंशन बहाली के न केवल पक्षधर हैं। बल्कि इसे चुनावी मुददा भी बना चुके हैं।
इससे इत्तर देखें तो केंद्र और राज्य में सरकार चला रही भाजपा इस मुददे को गंभीरता से नहीं लेती। कांग्रेस के नेता तो पुरानी पेंशन बहाली की एडवोकेसी करते हैं। मगर, कांग्रेस नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे हुए है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने इसे मुददा बनाने में कोई रूचि नहीं दिखाई।
इस तरह से कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दल सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों के पुरानी पेंशन बहाली की मांग को खास तवज्जो देते नहीं दिख रहे हैं।