राज्य को बचाने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल एकमात्र विकल्प
वोट देकर छले और ठगे जा रहे हैं उत्तराखंड के लोग
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए अब उत्तराखंड क्रांति दल एकमात्र विकल्प रह गया है। ये उन लोगों पर निर्भर है जिनके बड़ों ने राज्य निर्माण के लिए व्यवस्था का उत्पीड़न झेला। वोट देकर बार-बार छले और ठगे जा रहे उत्तराखंड के लोग इस विकल्प को परखते हैं या नहीं ये देखने वाली बात होगी।
उत्तराखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां के लोग वोट देकर इतने व्यापक और पारदर्शी तरीके से छले और ठगे जा रहे हैं। जहां छल और ठगी को विशेषाधिकार और आंख में आंख डालकर नियमानुसार बताया जा रहा है। राज्य गठन के दो दशकों में लोगों ने जिसके नारे और जिसकी बातों में आकर भरोसा किया उसी ने छल भी किया और ठगी भी की।
छल और ठगी की संभावनाएं बनीं रहें इसके लिए उत्तराखंड के मूल निवासियों को स्थायी निवासी बनने के लिए मजबूर किया। हैरानगी की बात ये है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने इसे कभी मुददा नहीं बनने दिया। वजह राज्य के मूल निवासी लच्छेदार बातों और नारों में इमोशनल हो रहे हैं।
राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में बेहद क्षमतावान और योग्य उत्तराखंड के नेता अनुशासन के नाम और कुर्सी सरकने के डर से राज्य को खाला का घर बनते देखते रहे हैं। 2016 में कांग्रेस की टूट के समय उम्मीद जगी थी कि क्षेत्रीय राजनीति मजबूत होगी। मगर, टूटे सभी नेताओं ने समान गुणधर्म और समान संभावना वाले दल का ही दामन थामा।
बहरहाल, गढ़वाली/कुमाऊंनी/जौनसारी बोली-भाषा का विरोध करने वाले इसी राज्य से राज्यसभा के माननीय बन गए। 20 साल बाद उत्तराखंड की स्थिति क्या होने वाली है समझा जा सकता है। ऐसे में अब राज्य को बचाने के लिए उत्तराखंड क्रांति दल एकमात्र विकल्प रह गया है।
यूकेडी में लाख कमी होंगी। उनके नेताओं को तमाम कोणों से कोसा जा सकता है। उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल भी उठाए जा सकते हैं। मगर, उनकी नीयत राज्य के लिए सत प्रतिशत शुद्ध है। राष्ट्रीय दलों को वोट देने का बहाना ढूंढने वाले अक्सर कमी गिनाते भी हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय क्षेत्रीय दलों को हम खूब कोसते हैं। उनके नेताओं पर आरोप भी लगाते हैं। इन सबके बावजूद इस बात को कोई नहीं नकार सकता है कि यूकेडी और क्षेत्रीय दलों के नेता ही उत्तराखंड के हर छोटे बड़े मुददों पर रिएक्ट करते हैं। राज्य को खाला कर घर बना रहे राजनीतिक दलों का विरोध करते हैं। राज्य में मची लूट-खसोट पर खुलकर बोलते हैं। जनता के लिए सड़कों पर उतरते हैं।
ऐसे में जरूरी है कि राज्य का स्वरूप फिर से यूपी जैसा न हो इसके लिए क्षेत्रीय दलों को प्रमोट किया जाए। उत्तराखंड राज्य को बचाने का ये अंतिम विकल्प है। इस विकल्प को परखा जाना चाहिए।