शिक्षकों के तबादले के मामले में शिक्षा मंत्री की बात प्रदेश के अधिसंख्य शिक्षकां के गले नहीं उतर रही है।
दो दिन पूर्व प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने तबादला कानून पर रोल बैक के संकेत दिए थे। उनका तर्क है कि शिक्षकों के तबादले के लिए कानून की जरूरत नहीं है। बल्कि ठोस और शिक्षकों के सुझाव पर तैयार की जा रही नीति से काम चल जाएगा।
शिक्षा मंत्री की ये बात प्रदेश के अधिकांश शिक्षकों के गले नहीं उतर रही है। शिक्षक सपाट शब्दों में इसे वादाखिलाफी करार दे रहे हैं। तर्क है कि बगैर एक्ट के तबादले से संबंधित व्यवस्थाएं सुधरने वाली नहीं हैं।
सरकार स्वयं एक्ट की पैरवी करती रही है। अब इस पर पेचदगियां गिनाना और पीछे हटना ठीक नहीं है। यानि आने वाले दिनों में इस मुददे को लेकर सरकार और शिक्षकों के बीच फिर से ठनना तय माना जा रहा है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि संघ सिंगल लाइन का प्रस्ताव कर चुका है। इसमें ट्रांसफर एक्ट की मांग की गई है। इससे पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। वार्ता में सरकार और विभागीय अधिकारियों के सामने एक नहीं दर्जनों बार इस बात को दोहराया जा चुका है।