एलटी/प्रवक्ता के प्रमोशन पर आखिरी चोट
पौड़ी। आखिरकार एलटी/प्रवक्ता के प्रमोशन पर आखिरी चोट हो ही गई है। इस चोट से उभरने के लिए, इसके असर को कम करने के लिए या फिर इसके दीर्घकालीन दुष्प्रभाव से बचने के लिए शिक्षकों को बेहद समझदारी से काम लेना होगा।
शिक्षा विभाग का सीधा-सीधा मतबल स्कूल, छात्र, शिक्षक और प्रिंसिपल से है। यहां छात्र को आगे बढ़ाने का जिम्मा शिक्षक पर है। गुरू कृपा से नौनिहाल आगे बढ़ भी रहे हैं। मगर, गुरूजी के आगे बढ़ने के रास्ते में सिस्टम ने एक के बाद एक विवाद खड़े कर दिए हैं।
अब सरकार के एक निर्णय से एलटी बनाम प्रवक्ता हो गया है। दरअसल, सरकार इंटर कालेज के प्रिंसिपल के 50 प्रतिशत रिक्त पदों को विभागीय परीक्षा से भरना चाहती है। इस परीक्षा के लिए एलटी शिक्षक को अर्ह नहीं माना जा रहा है। हालांकि इसमें अभी विभागीय पक्ष का आना शेष है।
इसके लिए मीडिया के एक वर्ग को बहुत बारीकी से समझाया जा रहा है कि इससे राज्य के इंटर कालेजों को प्रिंसिपल मिल जाएंगे। तर्क दिया जा रहा है कि हाई स्कूल कम हैं। इंटर कालेज के प्रिंसिपल पद हेतु हाई स्कूल का हेडमास्टर फीडर कैडर है।
ये जो भी तर्क है ये बचकाना है। दरअसल समस्या समय से प्रमोशन न मिलना है। यदि सरकार ने हाई स्कूल के सत प्रतिशत हेडमास्टर के पद भरे होते तो प्रिंसिपल पद के लिए फीडर कैडर से प्रॉपर सप्लाई होती। मगर, अधिकांश शिक्षकों को 55 साल की आयु के बाद हेडमास्टर बनाया जा रहा है।
ऐसे में अधिकांश शिक्षकों के पास इंटर कालेज का प्रिंसिपल बनने का समय ही नहीं रहता। 25-30 साल की सेवा में यदि शिक्षक को दो प्रमोशन भी नहीं मिल पा रहे हैं तो प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। शिक्षकों को भी इस पूरे मामले में बेहद सतर्कता और समझदारी से काम करना होगा। ताकि विभाग में उनकी तरक्की के मौके बनें रहें।