देहरादून। राज्य के सहायता प्राप्त प्रबंधकीय स्कूल और कॉलेज में शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्ति में प्रबंधन का दखल सरकार पर भी सवाल खड़े करता है। आरोपों में कई बामें सामने भी आती रही हैं।
राज्य गठन के बाद सहायता प्राप्त प्रबंधकीय स्कूल और कॉलेज में बड़े पैमाने पर शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्तियां हुई। अभी भी हो रही हैं। हर बार नियुक्तियों को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। लेनदेन के आरोप अब आम होने लगे हैं। कुछ मामले कोर्ट तक भी पहुंचे।
नियुक्ति के कई मामले तो खूब चर्चा में भी रहे। ये सब सरकार और उसके कर्ताधर्ताओं की जानकारी में होता है। आरोप तो ये भी रहे हैं कि नियुक्तियों में बंदरबांट होती है। बहरहाल, हो हल्ला होने पर जांच की बात होती है और सबकुछ ठीक निकलता है। जबकि सच ये है कि सबकुछ ठीक नहीं होता है।
परिणाम प्रबंधकीय स्कूल/कॉलेजों में शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्तियां को लेकर सरकार पर भी सवाल खड़े होते हैं। सवाल ये कि जब वेतन सरकार देती है तो नियुक्ति में प्रबंधन की भूमिका क्यों। प्रबंधकीय स्कूल/कॉलेजों में शिक्षकों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्तियां सरकार अपने सिस्टम से क्यों नहीं कराती।