श्री बदरीनाथ धाम में पर्यटन विभाग को नहीं देंगे भूमि और भवन

श्री बदरीनाथ। प्रदेश की भाजपा सरकार आदिधाम श्री बदरीनाथ में भोग और उपभोग के प्रतीक पर्यटन को प्रश्रय दे रही है। इससे स्मार्ट स्प्रिच्युअल हिल टाउन विकसित करने की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों के स्तर से इस प्रकार के सवाल उठाए जा रहे हैं।
दरअसल, इसके लिए लागू किए गए मास्टर प्लान की जद में आ रहे तीर्थ पुरोहित/हक हकूकधारियों के भवन और जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। ये सब पर्यटन विभाग के तहत किया जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार ने भोग और उपभोग के प्रतीक पर्यटक को आगे क्यों किया है।
क्या पर्यटन विभाग आध्यात्मिक स्वरूप के साथ न्याय करेगा। कम से कम पर्यटन का अध्यात्म से दूर-दूर तक नाता नहीं है। पर्यटन विशुद्ध रूप से भोग और उपभोग का मामला है। तीर्थ पुरोहित सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। सरकारी नियंत्रण वाली श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को सरकार ने आगे नहीं किया।
तीर्थ पुरोहित गुणांनंद कोटियाल ने सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़े किए। उन्होंने जिलाधिकारी को भेजे ज्ञापन में साफ किया कि वो अपना भवन पर्यटन विभाग को कतई नहीं सौंपेंगे। श्री बदरीनाथ मंदिर या राजस्व विभाग को ही भवन सौंपेंगे।
साथ ही उन्होंने मुआवजे की दरों पर भी सवाल खड़े किए। कहा कि मंदिर से सटे भवन और मंदिर से दूर के भवनों की मुआवजे की दर एक ही कैसे हो सकती है। साथ ही व्यावसायिक क्षतिपूर्ति का कोई प्राविधान न होने पर भी सवाल खड़े किए।
जिलाधिकारी को भेजे ज्ञापन में कोटियाल ने कहा कि व्यावसायिक भवनों के अंदर उपयोगी सामान को भी सरकार को लेना होगा। आखिर सरकार बताए कि इस सामान को कहां ले जाएं। ज्ञापन में कहा गया है कि मुआवजे की दर दो वर्ष पूर्व तय की गई हैं। जबकि अब महंगाई 25-30 प्रतिशत बढ़ चुकी है। आखिर महंगाई को मुआवजे में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है। कोटियाल ने कहा कि उक्त मांगों को माने जाने पर ही भवन सरकार को सौंपेंगे।