देहरादून। उत्तराखंड राज्य में सिर्फ चार जिलों में स्थित 51 मंदिरों पर लागू श्राइन एक्ट का तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के विरोध का संघ ने संज्ञान लिया है।
भले ही प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार तीर्थ पुरोहितों के विरोध को हंसी में उड़ा रही हो। भाजपाई इसकी खिल्ली उड़ाते हुए भ्रम फैला रहे हों। मगर, सच ये है कि भाजपा का ये परंपरा विरोधी निर्णय की जानकारी पूरे देश को हो गई है।
भाजपा से सवाल होने लगे हैं। आने वाले दिनों में सवालों की फ्रीक्वेंसी बढ़ना तय है। इस मामले को लेकर संघ भी धर्मावलंबियों के निशाने पर आ गया है। यही वजह है कि अब संघ पूरे प्रकरण में जानकारी जुटा रहा है।
राज्य के 13 में से मात्र चार जिलों के मंदिरों को श्राइन एक्ट में शामिल करने का सरकार का निर्णय अब संघ को भी खटकने लगा है। मुख्यमंत्री समेत चार मंत्रियों के गृह जनपद पौड़ी के बड़े-बड़े मंदिर श्राइन एक्ट में नहीं लिए गए हैं। हरिद्वार और पूरे कुमाऊं मंडल के मंदिरों को भी एक्ट में शामिल नहीं किया गया है।
इन सब बातों पर संघ सरकार से जल्द जानकारी ले सकता है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक जल्द ही राज्य के पांच सांसद और मुख्यमंत्री के साथ संघ की बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में इस मुददे के जोरशोर से उठना तय माना जा रहा है।