विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमिता विकास पर कार्यशाला

विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमिता विकास पर कार्यशाला
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उद्यमिता के अवसरों पर हुई चर्चा

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमिता विकास पर अयोजित कार्यशाला में संबंधित पर आधारित क्षेत्र में उद्यमिता के अवसरों पर चर्चा की गई।

द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (नासी), प्रयागराज, बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड (बी0सी0आई0एल0), उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) तथा उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद (यूसीबी) द्वारा संयुक्त रूप से ’समाज के विभिन्न स्तरों पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमिता कार्यक्रम’ विषय पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दो दिवसीय कार्यशाला का सोमवार को शुभारंभ हुआ।

हाइब्रिड मोड में हो रही कार्यशाला में यूकॉस्ट के महानिदेशक ं डॉ. राजेंद्र डोभाल ने नासी एवं यूकॉस्ट द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप को अपने नवाचारों को बदलते समय के साथ जोड़ना चाहिए क्योंकि यह उद्यमिता विकास का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने स्टार्टअप्स के लिए मार्केटिंग रिसर्च और टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट के महत्व के बारे में भी बात की। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में नासी प्रयागराज की वर्ष 2019- 2021 की रिपोर्ट का विमोचन किया गया।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में नासी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मंजू शर्मा ने अकादमी के विभिन्न कार्यक्रमों का संक्षिप्त परिचय दिया और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उद्यमिता के अवसरों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि देश के जैव संसाधनों से अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य अधिक से अधिक युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को उद्यमिता क्षेत्र से परिचित कराना है।

आईआईटी बॉम्बे के डॉ अनुराग शर्मा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में छात्रों के लिए आईआईटी मुंबई द्वारा शुरू की गई उद्यमिता विकास की विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों तथा स्टार्टअप्स के इन्क्यूबेशन के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. वी.पी. काम्बोज ने विभिन्न स्टार्टअप्स का संक्षिप्त परिचय दिया जो कोविड काल में विकसित हुए। एक अन्य व्याख्यान प्रो. के.एन. बधानी, डीन ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, आईआईएम काशीपुर द्वारा दिया गया। प्रो बधानी ने उद्यमियों के लिए विभिन्न प्रकार की वित्त पोषण योजनाओं के बारे में बात की। डॉ. नीरज कुमार, नासी, प्रयागराज द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

कार्यशाला के द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र डोभाल ने की और सह-अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा थीं। सत्र का थीम शचीन्द्र पाण्डेय ने दिया, जिसमें उन्होंने बौद्धिक सम्पदा अधिकार के अंतर्गत कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, ट्रेड सीक्रेट एवं ज्योग्राफिकल इंडिकेशन्स तथा बौद्धिक सम्पदा सुरक्षा में उनके महत्व के बारे में बात की। उन्होंने पेटेंट फाइलिंग की पूरी प्रक्रिया के बारे में भी बताया। एक सफल उद्यमी सुश्री हिरेशा वर्मा ने भी छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने आईटी प्रोफेशनल से औषधीय मशरूम उत्पादक और उद्यमी बनने तक के अपने सफर के बारे में बात की।

प्रो. आजम अली खान, आईआईटी रुड़की ने नवाचार तथा उद्यमिता सपोर्ट के बारे में बात की। इस सत्र में बायोटेकपार्क के सीईओ डॉ. ए.के. सिंह ने उद्यमिता से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। डॉ. राम गोपाल राव, आईआईटी दिल्ली ने उद्यमिता प्रबंधन पर एक विशेष भाषण दिया। कार्यशाला के प्रथम दिन यूकॉस्ट, यूसीबी के वैज्ञानिक एवं अधिकारी, नासी प्रयागराज के सदस्य, इनोवेटर्स तथा विभिन्न कॉलेजों के छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे।

Tirth Chetna

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