स्कूली शिक्षाः नियुक्ति स्रोत और कैडर को दुरूस्त किए बगैर नहीं सुलझ सकता वरिष्ठता का मामला
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। स्कूली शिक्षा के शिक्षकों की वरिष्ठता से संबंधित विवाद सरकार और विभाग जनित हैं। नियुक्ति स्रोत और कैडर के घालमेल को दुरूस्त किए बगैर इसे सुलझाना मुश्किल है।
पिछले तीन दशकों में सिस्टम का सरकारी शिक्षा के प्रति रवैया काफी बदल गया है। सरकार अब शिक्षा को खर्चे के आइने से देखती है। अर्थ का आइना खर्चे के ऐवज कि शिक्षा से होने वाले लाभ को नहीं देख पाता। परिणाम अब शिक्षा पर होने वाले खर्च अर्थशासि़्त्रयों के टारगेट पर है।
इसका असर स्कूल के सिस्टम पर देखा जा सकता है। शिक्षा पर होने वाले प्रयोगों की समीक्षा न होना, शिक्षकों के बगैर प्रमोशन पाए रिटायर होना और इससे पैदा हो रही जड़ता इसका प्रमाण है। उत्तराखंड राज्य स्थापना के वक्त शिक्षा में सुधार का अच्छा मौका मिला था। मगर, राजनीतिक व्यवस्था ने इसका लाभ वोट के रूप में उठाने की सोची।
शिक्षकों के नियुक्ति स्रोत को एक नहीं किया जा सकता। कोड़ पर खाज ये है कैडरों का घालमेल भी शुरू कर दिया गया। नियुक्ति स्रोत में समानता न होने से शिक्षकों की वरिष्ठता में विवाद पैदा हो गया है। इस मामले में दो टूक व्यवस्था देने में विभाग नाकाम साबित रहा है।
आगे चलकर अब कैडर के घालमेल से पैदा हो रही समस्या भी विकराल रूप धारण कर सकती है। इससे क्या प्रभावित होगा बताने की जरूरत नहीं है।
स्पष्ट है कि शिक्षकों की नियुक्ति का स्रोत एक करने और कैडर में हो रहे घालमेंल का दुरूस्त किए बगैर शिक्षा और शिक्षकों से संबंधित विवाद शायद ही समाप्त हो।