धारावाहिक उपन्यास अंश द्वितीय भाग कौ सुवा काथ कौ
कल्पना पंत।
आज कुलपति के साथ पहली मीटिंग थी, जहाँ पहुँचने का समय हो गया था। उन्होंने अपना बैग उठाया, जिसमें अपने भावी योजना का खाका बनाया हुआ रखा था ।
उधर गाड़ी में बैठते कुलपति ने कार्यालय से बाहर आते हुए अपने सहयोगी प्रोफेसर से कहा, ;आपने उन नए प्रोजेक्ट्स के बारे में रिपोर्ट देखी है? मुझे लगता है कि ये हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है। अगर हम इन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाते हैं, तो यह न केवल हमारी रैंकिंग में सुधार करेगा, बल्कि हमें नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगा।
प्रोफेसर ने गहरी सोच के साथ सिर झुकाया और बहुत ही मक्खन लगी आवाज में जवाब दिया, जी, सर। मैंने रिपोर्ट को पूरी तरह से पढ़ा है और उसमें कुछ बेहद अच्छे विचार हैं। इन पर काम करना शुरू कर देने से विश्वविद्यालय की पहचान भी बदलेगी। यह हमारी छवि को एक नई दिशा दे सकता है।
कुलपति ने थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा, बिल्कुल, हमें इस समय कुछ क्रांतिकारी और इनोवेटिव कदम उठाने होंगे। हम शिक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति स्थापित करना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं, लेकिन क्या पहले सत्र के लिए सभी तैयारियाँ पूरी हो गई हैं।
प्रोफेसर ने मुस्कुराते हुए कहा,जी हाँ, सर। सभी प्राध्यापक बैठक कक्ष में आ चुके हैं कुलपति ने गंभीर स्वर में कहा, यह सत्र हमारे विश्वविद्यालय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसका असर सीधे हमारी योजनाओं और हमारे उद्देश्य पर पड़ेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी योजनाएं भविष्य को बदलने वाली हों। छात्रों को न केवल उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिले, बल्कि वे हमारे विश्वविद्यालय के आदर्शों और उद्देश्यों से भी पूरी तरह अवगत हों।
प्रोफेसर ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, ;सहमत हूँ, सर। इस नए दिशा में हम सभी को मिलकर काम करना होगा। यह केवल एक सत्र नहीं, बल्कि हमारे विश्वविद्यालय के भविष्य की नींव रखने का समय है। लेकिन सर मुझे आप को यहाँ की कुछ अंदरूनी बातों की भी जानकारी देनी है। कुलपति ने फिर गंभीरता से कहा, वह मैं आपसे फिर डिस्कस कर लूँगा ;तो फिर पहले, आइए हम इसे शुरू करें।
मैं पहले इन सब प्राध्यापकों तथा स्टाफ से मिलकर उन्हें विश्वविद्यालय के नए उद्देश्य और हमारे मिशन के बारे में बताऊँगा। प्रोफेसर ने कहा,यह एक प्रेरणादायक कदम होगा, सर। लोगों को आपका मार्गदर्शन मिलेगा और वे अधिक प्रेरित होंगे। कुलपति ने मुस्कुराते हुए कहा,तो फिर, क्या सभी तैयार हैं? हम एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं, और मुझे पूरा विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय के लिएएक सुनहरा भविष्य लेकर आएगा।
डॉ. चित्रा ने गहरी साँस ली। यह उनकी नई यात्रा की शुरुआत थी। गाड़ी विश्वविद्यालय के विशाल द्वार पर रुकी। प्रवेश द्वार पर लिखे शब्द ज्ञान से समृद्धि यह संकेत दे रहे थे कि यहाँ एक नई ऊर्जा का जन्म होने जा रहा था। गाड़ी से उतरते हुए डॉ. चित्रा ने भीतर ही भीतर एक नई शक्ति का अनुभव किया।
उनका दिल धड़क रहा था, लेकिन यह धड़कन घबराहट की नहीं, बल्कि उत्साह और असीम संभावनाओं की थी। वह जानती थीं कि जिस भांति आज तक उन्होंने भरसक कोशिश की है आगे भी उनका हर कदम विद्यार्थियों के स्वप्नों को दिशा देने का कार्य करेगा।
मेरी भूमिका केवल एक प्रोफेसर की नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक की है, निरंतर मेरी यही कोशिश रही है। उन्होंने आत्मविश्वास से मन ही मन कहा। और इसी सोच के साथ, उन्होंने विश्वविद्यालय के परिसर में पहला कदम रखा। सूरज अपनी पूर्ण आभा के साथ चमक रहा था, मानो यह बता रहा हो कि एक नई शुरुआत का समय आ गया है।