राजेश रावत
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में टिकट बटवारे के बाद बावाल की स्थिति है। प्रदेश कार्यालय तक बगावत की चिंगारी पहुंच गई हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद हालात नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं। भाजपा के डैमेज को कंट्रोल करने के लिए संघ आगे आया है। जबकि कांग्रेस के लिए इस काम का मोर्चा कौन संभालेगा इस पर असमंजस बना हुआ है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में किए गये टिकट बटवारे को लेकर दोनों दलों की ओर से एक दर्जन से ज्यादा असंतुष्ट नेता बगावत पर उतर आए हैं। इसमें से अधिकांश निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं। यानि बागियों से दोनों दलों को नुकसान होना तय है।
नामांकन कर चुके उक्त नेताओं को मनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेता सक्रिय हैं। हालांकि इसमें सफलता ना के बारबर मिल रही है। ऐसे में भाजपा की ओर से संघ ने मोर्चा संभाल लिया है। संघ के तमाम मशीनरी इस काम में जुट गई है। वह हर स्तर से इससे होने वाले डैमेज को कंट्रोल करने में लगे है। और सब कुछ सामान्य होने का दाव भी भर रहे है।
कांग्रेस की ओर से ऐसी कोई टीम फिलहाल काम करती नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और कुछ वरिष्ठ नेता ही बगावत पर उतरे नेताओं को मनाने का प्रयास कर रहे हैं। सीएम और प्रदेश अध्यक्ष स्वयं कुछ असंतुष्टों से बात कर चुके हैं।
बावजूद इसके लिए कांग्रेस छोड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे पार्टी के रणनीतिकार परेशान हैं। मुख्यमंत्री रावत और प्रदेश अध्यक्ष उपाध्याय के स्वयं चुनाव मैदान में होने से अब वो इस काम पर शायद ही प्रॉपर फोकस कर सकें।
इसका खामियाजा प्रदेश की विभिन्न सीटों पर कांग्रेस को होता दिख रहा है। हालांकि पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि मामले को देखा जा रहा है। इस बात को कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता भी स्वीकार रहे हैं।
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देहरादून। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य एवं