तीर्थनगरी ऋषिकेश में कब्जा/अतिक्रमण पर सेलेक्टिव एक्शन
राजनीतिक नफा-नुकसान का रखा जा रहा ध्यान
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश में सरकारी जमीनों पर हुए कब्जा/अतिक्रमण के मामलों में सिस्टम के स्तर से सेलेक्टिव एक्शन ही हो रहा है। हर बार की तरह से राजनीतिक नफा नुकसान का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
देश में जहां-जहां डबल इंजन की सरकार है वहां बुलडोजर खासा लोकप्रिय हो रहा है। प्रचारित किया जा रहा है बुलडोजर सरकारी जमीनों पर हुए कब्जा/अतिक्रमण को हटा रहा है। बुलडोजर की चर्चा उत्तराखंड में भी खूब हो रही है। मगर, अभी इसका काम देखने को नहीं मिल सका है।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में भी इन दिनों कब्जा/अतिक्रमण हटाने का डंका बज रहा है। अधिकारी निरीक्षण को पहुंच रहे हैं। खूब मीडिया ट्रायल कराया जा रहा है। मगर, सच ये है कि कब्जा/अतिक्रमण उतना हटाया नहीं जा रहा है जितना प्रचारित किया जा रहा है।
ऋषिकेश में सिंचाई विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम, पशु पालन विभाग की जमीनों पर खूब कब्जा/अतिक्रमण है। कालोनियां बन गई हैं। कब्जा करने और करवाने वाले खूब मालामाल हो गए हैं। मगर, सिस्टम की नजर इधर की ओर उठने को तैयार नहीं हैं। चारधाम यात्रा तैयारियों के बहाने ऋषिकेश आए तमाम बड़े छोटे अधिकारी और मंत्रियों ने खूब हुंकार भरी। मगर, उन्हें कहीं अतिक्रमण नहीं दिखा।
दरअसल, कब्जा/अतिक्रमण को हटाने के मामले में राजनीतिक नफा नुकसान देखा जा रहा है। तीर्थनगरी ऋषिकेश के मामले में तो ऐसा यकीन के साथ कहा जा सकता है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कब्जा करने वाले पुनर्वास की मांग करते हैं और सिस्टम इस पर गौर करता है। पुनर्वास होता भी है।
ऐसे में सरकारी जमीनों पर कब्जा/अतिक्रमण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। राजनीतिक संरक्षण भी मिल जाता है। यही वजह है कि कब्जा/अतिक्रमण हटाने के अधिकारियों के दावों पर कोई यकीन नहीं करता।