सिस्टम की नाक के नीचे खुर्दबुर्द हो रही हैं ऋषिकेश की धर्मशालाएं
राजनीति की दुरभि संधि भी है बड़ी वजह
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश के साथ व्यापक पहचान जोड़ने वाली धर्मशालाएं सिस्टम की नाक के नीचे खुर्दबुर्द हो रही हैं। राजनीति की दुरभि संधि इसकी सबसे बड़ी वजह है। समय-समय में इन्हें बचाने की कोशिश करने वाले अधिकारियों को यहां से चलता किया जाता रहा है।
राज्य गठन के बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश में धर्मशालाआंे के खुर्दबुर्द होने की गति खासी तेज हुई है। कई धर्मशालाएं पूरी तरह से मिट चुकी है। जो धर्मशालाएं बची हैंं उनका आकार तेजी से सिमट रहा है। आगे-पीछे, दायें-बायें से खुर्दबुर्द करने के प्रयास लगातार जारी हैं। तीर्थनगरी में राजनीति की दुरभि संधि की वजह से ये काम आसानी से हो रहा है।
विभिन्न तरह से प्रश्रय लेने वाले ही अब इन धर्मशालाओं को निगलने के लिए तैयार बैठे हैं। धर्मशालाओं के पंच प्रधान (ट्रस्टी) भी इस काम में पूरी तरह से लिप्त रहे हैं। कई रसूखदारों के इंट्रेस्ट भी कई बार सामने आते रहे हैं। कई धर्मशालाओं के मिटने की कहानियां की खूब चर्चा भी रही हैं।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में परंपरागत विरोध भी हुए। मगर, हर विरोध राजनीति की दुरभि संधियों की वजह से असर नहीं दिखा सका। सफेदपोशों की चिटठी पत्री और खाकी की मदद भी खासी चर्चा में रही है।
हैरान करने वाली बात ये है कि राज्य गठन के बाद धर्मशालाओं के खुर्दबुर्द होने की गति सिस्टम के नाक नीचे ही बढ़ी। शिकायतें भी खूब हुई। मगर, सिस्टम के स्तर पर कभी गौर नहीं किया गया।
धर्मशालाओं को बचाने के लिए जिन अधिकारियों ने गंभीरता से प्रयास किया उन्हें रसूखदारों ने यहां टिकने नहीं दिया। कुछ साला पूर्व हिमालय सिंह मार्तोलिया ने एसडीएम रहते हुए धर्माशालाओं को बचाने के प्रयास किए थे।
उनके प्रयास जब खास लोगों के आस-पास पहुंचने लगे तो उनका तबादला कर दिया गया। ये बताने की जरूरत नहीं है कि तब किसका शासन था।
बहरहाल, भाजपा के जिलाध्यक्ष रविंद्र राणा ने धर्मशालाओं में हो रही खुर्दबुर्द के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख रख है। देखने वाली बात होगी शासन धर्मशालाओं को बचाने के कितनी गंभीरता से काम करता है।