भाजपा में नहीं थम रही बगावत, नाराजगी बढ़ा रही मुश्किल

देहरादून। टिकट न मिलने/ सिटिंग विधायक का टिकट न कटने की वजह से भाजपा में शुरू हुई बगावत और अंदरखाने की नाराजगी थम नहीं रही है। बगावत से ज्यादा मुश्किल अंदरखाने की नाराजगी से है।
भाजपा में आज जो कुछ दिख रहा है उसकी पटकथा 2017 में मिले प्रचंड बहुमत और मनमानी सरकार के समय से लिखी जाने लगी थी। तब कार्यकर्ता पूरी तरह से हाशिए पर रहे। कार्यकर्ता आधारित पार्टी की सरकार ने कार्यकर्ताओं को सम्मान देने में ढाई साल का वक्त लगाया।
जिन्हें दायित्वधारी बनाया उनमें से किसी की कुर्सी तीन/छह और एक साल में ही पार्टी के सीएम बदलो अभियान की भेंट चढ़ गई और वो सिर्फ देवतुल्य कार्यकर्ता ही रह गए। बहरहाल, तब कुछ 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट मिलने तो कोई सिटिंग विधायक के टिकट कटने की सूचना में संभावनाएं देख रहे थे। मगर, ऐसा कुछ नहीं हुआ।
अब जहां टिकट कटे वहां बगावत है। जहां नहीं कटे वहां बड़ी नाराजगी है। सिटिंग का टिकट काटकर किसे दिया गया कई क्षेत्रों में इसको लेकर समस्या दिख रही है। बगावत को पार्टी थाम नहीं पा रही है और नाराजगी का उससे दूर-दूर तक भान नहीं है। सच ये है कि भाजपा के लिए अंदरखाने की नाराजगी बड़ी मुश्किल खड़ी करने वाली है।
हाल फिलहाल भाजपा में राज्य स्तर पर ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर सकें। हालात ये हैं कि अब देवतुल्य कार्यकर्ता के संबोधन से शायद ही काम चले। ये बात अलग है कि भाजपा के नेता कहीं नाराजगी की बात स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। अबकी बार 60 के पार का नारा लगातार बुलंद कर रहे हैं।