शिक्षकों के लिए अनिवार्य पदोन्नति कानून की जरूरत

शिक्षकों के लिए अनिवार्य पदोन्नति कानून की जरूरत
Spread the love

देहरादून। शिक्षा विभाग को अनिवार्य स्थानांतरण से अधिक अनिवार्य पदोन्नति कानून की जरूरत है। अनिवार्य पदोन्नति कानून में शिक्षक का स्थान परिवर्तन तो होगा ही साथ विभाग स्थानांतरण के पचड़े से बच जाएगा।

अनिवार्य स्थानांतरण अधिनियम 2017 के बावजूद स्थानांतरण को लेकर रार बरकरार है। सवाल, संदेह और आरोप यथावत हैं। विभाग का बड़ा समय इसकी एक्सरसाइज में जाया हो रहा है। स्कूल एजुकेशन में ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी फील गुड गायब है। ये बात सुगम-दुर्गम दोनों पर समान रूप से लागू होती है।

दरअसल, शिक्षा विभाग में शिक्षकों के लिए अनिवार्य स्थानांतरण से अधिक अनिवार्य पदोन्नति कानून की दरकार है। अनिवार्य पदोन्नति कानून स्थानांतरण को भी अपने आप में समाहित कर सकता है। पदोन्नति में भी शिक्षक का स्थान परिवर्तन होगा।

इससे स्कूल एजुकेशन में हमेशा फील गुड का माहौल बना रहेगा। शिक्षकां के प्रमोशन के नाम पर आई जड़ता समाप्त होगी। हर पद पर काम को लेकर रूचि बढ़ेगी। स्कूलों के माहौल में सुधार होगा। प्रमोशन फॉर गो के मामले कम हो जाएंगे।

अब इस बार अनिवार्य स्थानांतरण के मामले को देखें तो बेसिक, जूनियर, एलटी और प्रवक्ता पद में अनिवार्य स्थानांतरण की पात्रता सूची में शामिल अधिकांश शिक्षक प्रमोशन की सूची में भी टॉप पर हैं।

एलटी से प्रवक्ता पद पर प्रस्तावित विषयगत लाभ में तो ये संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। इसी प्रकार एलटी/प्रवक्ता से हेड मास्टर में भी ऐसा ही है। यानि जुलाई में अनिवार्य स्थानांतरण पर जिन शिक्षकों को भेजा जाएगा कुछ माह बाद प्रमोशन सूची जारी होने पर उन्हें फिर से इधर उधर किया जाएगा।

स्थानांतरण और प्रमोशन में होने वाले इधर-उधर में कम से कम तीन-चार माह का समय लगेगा। इससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होगी। इससे बचने के लिए अनिवार्य स्थानांतरण के बजाए अनिवार्य पदोन्नति कानून ज्यादा जरूरी है।

Tirth Chetna

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *