प्रो. मधु थपलियाल “वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड” से सम्मानित
तीर्थ चेतना न्यूज
लखनऊ। गवर्नमें पीजी कॉलेज, उत्तरकाशी की जन्तु विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. मधु थपलियाल को हरित रसायन विज्ञान प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन में हालिया रुझान और चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एन०ई०एस०ए० वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
सम्मेलन 14 से 16 दिसंबर 2023 तक सी०एस०आई०आर०- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एन०बी०आर०आई० लखनऊ), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार में आयोजित किया गया था। समापन सत्र में प्रो. मधु थपलियाल को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
उन्हें उत्तर प्रदेश के शहरी विकास के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सम्मानित किया। इस मौके पर डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव, प्रधान वैज्ञानिक एन०बी०आर०आई०, डॉ. शकील ए खान, प्रधान वैज्ञानिक आई०ए०आर०आई०-पूसा शामिल थे।
डॉ. मधु थपलियाल का व्यक्तित्व बहुमुखी है। वह एक शिक्षाविद और छात्रों के हित के लिए समर्पित शिक्षिका हैं। उनका शोध हाशिये पर पड़े समाज के उत्थान और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर केंद्रित है।
वह समाज से सीधे तौर पर जुड़े कई मुद्दों पर काम कर रही हैं और उनके काम का सीधा सामाजिक प्रभाव है, जिसमें लिंग संवेदनशीलता, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता, जैव विविधता, जलीय जैव विविधता पर जलविद्युत ऊर्जा परियोजनाओं का प्रभाव और उत्तराखंड स्थित मछलियों के लिए आणविक मार्करों पर आधारित आनुवंशिक डेटाबेस का निर्माण शामिल है।
उनके काम का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन में मदद करना है। वह ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सरकार की नीतियों को जमीनी स्तर पर संरेखित करने का प्रयास कर रही हैं।
सम्मेलन के दौरान प्रोफेसर डॉ. मधु थपलियाल को समसामयिक मुद्दे सत्र के दौरान सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति का सम्मान भी मिला, जहां उन्होंने सम्मेलन के दौरान मधुमक्खी पालन के पारंपरिक तरीकों पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में उन्होंने मधुमक्खियों के महत्व को समझाया और उनकी तुलना बाघ के बराबर की और उन्होंने तर्क दिया कि बाघ परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) के बारे में हर कोई जानता है लेकिन कई लोग मधुमक्खियों के महत्व के बारे में सोचते भी नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि मधुमक्खियाँ कई पारिस्थितिक तंत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं और पारिस्थितिक तंत्र जीवन प्रणालियाँ हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी मिशन जिसका लक्ष्य कृषि और बागवानी में सुधार और वृद्धि करना है।
उन्होंने कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे रोके जाने की वकालत की। कहा कि उत्तराखंड के ठंडे क्षेत्रों से मधुमक्खी पालन के पारंपरिक ज्ञान का प्रचार और संरक्षण किया जाना चाहिए जहां मधुमक्खियों के छत्तों को घरों और छान की मोटी पत्थर की दीवारों के अंदर बनाए रखा जाता था ताकि मधुमक्खियां कठोर सर्दियों के मौसम में अपने को बचा पाएं. यह सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के रसीलियेंस से जुड़ा है और अगर हम पारिस्थितिकी तंत्र के इन छोटे मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं, तो कृषि और बागवानी के रसीलियेंस ढांचे को विकसित करना मुश्किल होगा और बदले में खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
सम्मेलन में प्रो. मधु थपलियाल के सभी शोध प्रयासों की सराहना की गई और शहरी आर्द्र-भूमि (वेटलैंड) को बचाने के उनके सुझाव का स्वागत किया गया। चर्चा का मुख्य बिंदु उत्तर प्रदेश सरकार का हालिया सरकारी आदेश था जो नदी या नाले या तालाब सहित किसी भी जल निकाय से 100 मीटर तक के क्षेत्र को संरक्षित करता है।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश उत्तराखंड में भी काफी अहम हो सकता है। सम्मेलन की कार्यवाही का एक अन्य प्रमुख परिणाम भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा अपशिष्ट निपटान एजेंसियों, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एजेंसियों, सेवा क्षेत्रों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों का विकास था।