प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन इज बेस्ट एंड नेचुरल ऑप्शन
देहरादून। राज्य के सरकारी हाई स्कूल/इंटर कॉलेजों में हेड मास्टर/प्रिंसिपल पद हेतु शिक्षकों का प्रमोशन ही बेस्ट और नेचुरल ऑप्शन है। 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरने का ऐलान एक तरह से बड़ी संख्या में अनुभवी शिक्षकों को प्रमोशन की लाइन से बाहर करना है।
राज्य में 70 प्रतिशत से अधिक हाई स्कूल/ इंटर कालेज बगैर मुखिया के चल रहे हैं। ऐसा इसलिए है कि सरकार और विभाग की रूचि शिक्षकों को प्रमोशन देने में नहीं है। परिणाम 25/30 साल की सेवा के बाद भी एलटी/प्रवक्ता पद से सेवा शुरू करने वाले शिक्षक अभी भी ज्यों के त्यों हैं।
स्कूलों को उनके अनुभवों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकां को समय से प्रमोशन न मिलने से पूरे सिस्टम में एक तरह से जड़ता आ रही है। विभाग इस पर गौर करने को तैयार नहीं और सरकार के पास इसके लिए समय नहीं।
शिक्षकों के समय से प्रमोशन होते नहीं और सेवा काल के अंतिम दिनों में हाई स्कूल के हेड मास्टर बनने के बाद सरकार बहाना बनाती है कि इंटर कालेज के प्र्रिंसिपल बनने के लिए पांच साल ही अर्ह सेवा पूरी नहीं हुई। अब सरकार ने शिगूफा छोड़ा है कि प्रिंसिपल के 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती से भरा जाएगा।
स्कूल के प्रिंसिपल पद पर सीधी भर्ती से शिक्षा को खास लाभ नहीं होगा। सीधी भर्ती के प्रिंसिपल के आंखों में निदेशक बनने का सपना होता है। परिणाम स्कूल पीछे छूट जाते हैं। उत्तराखंड राज्य इसका अनुभव भी ले चुका है।
ऐसे में स्कूलों की देश काल परिस्थितियों का अनुभव रखने वाला शिक्षक ही प्रिंसिपल पद का नेचुरल अधिकारी है। प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन बेस्ट ऑप्शन है। सीधी भर्ती का मामला इस मसले का और उलझाएगा।
इसका खामियाजा उन शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा जो अब सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं। उनका हरी स्याही से हस्ताक्षर करने का सपना शिक्षक पद पर ही टूट जाएगा।