प्रिंसिपल पूनम राणा ने बदल दी जीजीआईसी ज्वालापुर की सूरत
एक प्रिंसिपल ऐसा भी
उत्तराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जहां 80 प्रतिशत से अधिक गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों में प्रिंसिपल तैनात हैं। वहीं उन राज्यों में भी शामिल है जहां स्कूली शिक्षा में 80 प्रतिशत स्कूल बगैर प्रिंसिपल के हैं। कुछ प्रिंसिपल ने बेहतर काम, कुशल नेतृत्व से कॉलेज की तस्वीर बदल दी। ऐसे स्कूल/ कॉलेजों और लीड कर रहे प्रिंसिपलों को हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com का सलाम।
हम ऐसे स्कूल/ कॉलेजों के प्रिंसिपल पर एक प्रिंसिपल ऐसा भी नाम से साप्ताहिक कॉलम प्रकाशित कर रहे हैं। ये कॉलम हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com के साथ ही रविवार को प्रकाशित होने वाले हिन्दी सप्ताहिक तीर्थ चेतना में भी प्रकाशित किया जाएगा।
हरिद्वार। स्कूल की बेहतरी में जन सहभागिता कैसे और कैसी हो ये देखना और समझना हो तो हरिद्वार जिले के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, ज्वालापुर चले आइए। ऐसा कर दिखाया स्कूल की प्रिंसिपल पूनम राणा और उनकी टीम ने।
छात्रा संख्या में लिहाज से राज्य के सबसे बड़े स्कूलों में शामिल जीजीआईसी, ज्वालापुर की जरूरतें भी अधिक थी। गवर्नमेंट/विभाग से उपलब्ध होने वाले संसाधन नाकाफी थे। ऐसे में स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती पूनम राणा ने स्कूल की बेहतरी के लिए कम्यूनिटी को एप्रोच किया।
कम्यूनिटी के माध्यम से स्कूल की बेहतरी का मंत्र समग्र शिक्षा अभियान में भी है। बहरहाल, प्रिंसिपल पूनम राणा ने स्कूल की बेहतरी खासकर संसाधनों के लिए कम्यूनिटी को नॉक किया तो बदलाव का कारवां बनने लगा।
छात्राओं की बेहतरी को प्रिंसिपल पूनम राणा के कमिटमेंट को देखते हुए हीरो मोटर कॉर्प ने स्कूल पर करीब पांच करोड़ रूपये खर्च किए। यूके बेस्ड कंपनी डब्ल्यूपीपी ने स्कूल के लिए डिजिटल लैब बनाई। संभवतः सरकारी स्कूलों में ये सबसे बेहतरीन क्रियाशील कंप्यूटर लैब है।
यहां छात्राएं रोबोटिक और कोडिंग सीख रही हैं। प्रतिस्पर्द्धा के इस दौर में स्कूल की छात्राएं स्वयं को साबित कर सकें इसके लिए प्रिंसिपल ने स्पोकन इंगलिश का प्रशिक्षण सुनिश्चित कराया। इसका असर भी दिखने लगा है। ये राज्य का पहला सरकारी स्कूल है जहां प्राइवेट कंपनियां कैंपस सिलेक्शन के लिए आई।
स्कूल के जर्रे-जर्रे पर समुदाय की सहभागिता दिखती है। 1980 से पहले स्कूलों में ऐसा ही कुछ दिखता था। अब हर काम के लिए सरकार का मुंह ताकने की मानसिकता ने समुदाय और शिक्षण संस्थाओं के बीच दूरी पैदा कर दी। मगर, जीजीआईसी, ज्वालापुर की पुरानी परंपराओं को फिर से जिंदा कर दिया।
स्कूल की बेहतरी में समुदाय की मदद लेने वाली प्रिंसिपल पूनम राणा ने प्रशासनिक/शैक्षणिक मोर्चे पर भी स्वयं को साबित किया। स्कूल का अनुशासन इस बात की गवाही भी देता है। बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट और खेल-कूद में स्टेट और नेशनल में स्कूल की छात्राओं का प्रतिभाग से कहा जा सकता है कि काम बोलता है।
स्कूली शिक्षा विभाग ने भी उनके कार्यों की सराहना की। शिक्षकों को दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार के लिए वो चयनित हो चुकी हैं। वर्ष 1990 में जीजीआईसी, रानीखेत से अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप में सरकारी सेवा की शुरूआत करने वाली पूनम राणा 2017 में जीजीआईसी, ज्वालापुर की प्रिंसिपल बनीं।
प्रिंसिपल पूनम राणा का कहना है कि स्कूल के लिए जो भी प्रयास कर सकी हैं उसके पीछे विभाग और विभागीय अधिकारियों का प्रोत्साहन है। समय-समय पर विभागीय अधिकारी हौसलाफजाई से बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है।