राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का मुख्यमंत्री आवास में किया गया नागरिक अभिनन्दन

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का मुख्यमंत्री आवास में किया गया नागरिक अभिनन्दन
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राष्ट्रपति ने किया नौ विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। पहली बार देवभूमि उत्तराखंड प्रवास पर पहुंची राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु का मुख्यमंत्री आवास में नागरिक अभिनन्दन किया गया। राष्ट्रपति ने 2001.94 करोड़ रूपये की 09 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। राष्ट्रपति ने 528.35 करोड़ रूपये की 03 योजनाओं का लोकार्पण और 1473.59 करोड़ की 06 योजनाओं का शिलान्यास किया।

शुक्रवार को सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल लेज. गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में राष्ट्रपति उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित हुई। राष्ट्रपति के समक्ष प्रदेश की लोक संस्कृति का लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शन किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति को कंडाली के रेशों से बनी हुई शॉल भेंट की । इस शॉल पर उत्तराखण्ड की प्राचीन लोककला शैली थापे को उकेरा गया है। साथ ही राष्ट्रपति को उत्तराखंड की लोक कला शैली थापे और ऐपण के मिश्रण से तैयार स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।’

राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि देव-भूमि, तपोभूमि और वीर-भूमि उत्तराखंड में आना, मैं अपना सौभाग्य मानती हूं। हिमालय को महाकवि कालिदास ने ‘देवात्मा’ कहा है। राष्ट्रपति के रूप में, हिमालय के आंगन, उत्तराखंड में, आप सब के अतिथि-सत्कार का उपहार प्राप्त करके, मैं स्वयं को कृतार्थ मानती हूं। राष्ट्रपति ने अभिनंदन-समारोह के उत्साह-पूर्ण आयोजन के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उत्तराखंडवासियों को धन्यवाद दिया।

राष्ट्रपति ने विभिन्न विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं से लोगों के लिए जन-सुविधाएं बढ़ेंगी। उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के सुव्यवस्थित मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऊर्जावान नेतृत्व में, उत्तराखण्ड समग्र विकास के पथ पर अग्रसर है। राज्य के विकास की इस यात्रा में उत्तराखंड के परिश्रमी और प्रतिभाशाली निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा में नगाधिराज हिमालय के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को देवताओं का वंशज माना गया है। इस प्रकार उत्तराखंड के भाई-बहन एक दिव्य परंपरा के वाहक हैं। आप सबके बीच आकर मैं विशेष प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूं। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि, सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था। इस प्राकृतिक सुंदरता को बचाते हुए ही विकास के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत माता की धरती के बहुत बड़े भाग को निर्मित और सिंचित करने वाली नदी-माताओं के स्रोत उत्तराखंड में हैं। हिमालय और उत्तराखंड भारत-वासियों की अंतरात्मा में बसे हुए हैं। हमारे ऋषि-मुनि ज्ञान की तलाश में हिमालय की गुफाओं और कंदराओं में आश्रय लेते रहे हैं। यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी ले कर गए थे। इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है।

आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्रों में उत्तराखंड निरंतर अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए नए-नए संस्थान भी स्थापित कर रहा है। उत्तराखंड में नेचुरोपैथी के अनेक प्रसिद्ध केंद्र हैं जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आकर स्वास्थ्य-लाभ करते हैं। उत्तराखंड में नेचर टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इससे युवाओं में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयं पर्वतराज हिमालय और उत्तराखंड के शूरवीर लोग भारत माता के प्रहरी भी रहे हैं। हमारे वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान जी उत्तराखंड के ही सपूत हैं। भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी भी इसी धरती की विभूति थे।

उत्तराखंड की श्रीमती बसंती बिष्ट ने राज्य की प्रथम महिला ग्राम-प्रधान के रूप में जन-सेवा कर के तथा प्रौढ़-शिक्षा से लेकर स्वच्छता तक अनेक जन-कल्याण के कार्यों में योगदान दे कर देश की सभी बहनों-बेटियों के लिए आदर्श स्थापित किया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में बेटियों की युवा पीढ़ी भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है। यह सामाजिक परिवर्तन एक विकसित उत्तराखण्ड और विकसित भारत की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है। आज से पांच दिन पहले ही दिव्यांग-जनों के सशक्तीकरण के विकास में संलग्न सर्वश्रेष्ठ संगठन का राष्ट्रीय पुरस्कार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी को दिया गया। यह उपलब्धि एक संवेदनशील समाज का परिचय देती है। इस संवेदनशीलता को सभी देशवासी और अधिक व्यापकता तथा दृढ़ता प्रदान करें।

राष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करने वाले उत्तराखंडियों का खास तौर से जिक्र किया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि..) ने राष्ट्रपति का देवभूमि उत्तराखण्ड की जनता की ओर से स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि माननीय राष्ट्रपति के उत्तराखण्ड आगमन से यहां का कण-कण स्वयं को ऊर्जावान और गौरवशाली महसूस कर रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का देवभूमि आगमन पर स्वागत और अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैनिक परिवार में जन्मे बेटे के घर तीनों सेनाओं की प्रमुख, देश की आदरणीय राष्ट्रपति महोदया कभी आएंगी, ऐसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था भले ही यह मेरा सरकारी आवास हो, परंतु आपका यहां स्वयं आना मेरे और उत्तराखंड के सवा करोड़ नागरिकों के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उत्तराखंड आने पर उन्होंने अनुरोध किया था कि राष्ट्रपति बनने के पश्चात आप पुनः देवभूमि अवश्य पधारें। यह अनुरोध स्वीकार करने के लिये उन्होंने राष्ट्रपति का धन्यवाद किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी का अत्यंत कठिन जीवन संघर्ष, अदम्य साहस और प्रेरणास्पद राजनीतिक यात्रा प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करती है। उनकी जीवन यात्रा हम सबके लिए इसलिए भी प्रेरणादायी है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में आई समस्त कठिनाइयों को ही अपनी शक्ति बनाकर जीवन सफर में विजय प्राप्त की। वे भारतवर्ष के समस्त नागरिकों विशेष रूप से गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए आशा की किरण हैं। हर संकट का सामना आपने पूरी दृढ़ता से किया। राष्ट्रपति जी सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण का जीता जागता प्रतीक हैं। अपने जीवन में सदा ‘कर्म प्रधान विश्व करी राखा‘ के सिद्धांत को सर्वाेपरि माना और विकट परिस्थितियों में भी अपने विनम्रतापूर्ण आचरण को बनाए रखा।

राष्ट्रपति जी सदैव ’’सादा जीवन-उच्च विचार’’ के मूल मंत्र पर चलती रहीं और यही कारण है कि आज जन-जन के भीतर यही भाव है कि उनके बीच से निकली एक आम महिला देश कि प्रथम नागरिक है। अपने हर दायित्व को आपने पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से निभाया। सदैव समाज कल्याण को वरीयता दी और समाज में पिछड़ों व वंचितों के सशक्तिकरण पर बल दिया।

Tirth Chetna

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