निकाय चुनावः निर्दलीय प्रत्याशियों के सवालों से राजनीतिक दल असहज

निकाय चुनावः निर्दलीय प्रत्याशियों के सवालों से राजनीतिक दल असहज
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों के सवालांें/ मुददों से राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी असहज महसूस कर रहे हैं। उनको इन सवालांे और मुददों को काउंटर करना मुश्किल हो रहा है।

राज्य गठन के बाद हुए पांच आम चुनाव और पांच विधानसभा चुनावों में राज्य के मूल सवाल और मुददों को खास जगह नहीं मिली। राजनीतिक दल बड़ी चालाकी से राज्य के सवालों पर कुछ रिएक्ट किए बगैर चुनाव जीत गए। इस बात को अब राज्य का आम जन अच्छे से जान और समझ चुका है।

विभिन्न संगठनों ने मूल निवासियों के सवालों को आवाज दी तो मुददे राज्य की राजनीति के केंद्र में आने लगे हैं। निकाय चुनाव में ऐसा कुछ देखने और सुनने को मिल रहा है। मूल निवासियों के सवालों के साथ ही राज्य के वास्तविक मुददों को नारों से दबाने के प्रपंच भी अब सामने आने लगे है।

राज्य के निर्दलीय प्रत्याशी इन मुददों को आवाज दे रहे हैं। निकायों के मुददों के अलावा इन मुददों को स्थानीय स्तर पर स्थान मिलने को अच्छा संकेत माना जा रहा है। हालांकि राजनीतिक दलों का रवैया अभी भी राज्य के वास्तविक मुददों को लेकर पहले जैसा ही है।

राजनीतिक दलों के प्रत्याशी स्थानीय निकाय चुनाव मंे राष्ट्रीय मुददों को तड़का लगाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि पहली बार राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को लोगों के सवालों से दो चार होना पड़ रहा है। कुल मिलाकर नकाय चुनाव में राज्य के वास्तविक मुददों को मिल रही आवाज से राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी असहज महसूस कर रहे हैं।

Tirth Chetna

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