रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड़ की वसूली नहीं कर पा रही सरकार:गरिमा दसौनी

रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड़ की वसूली नहीं कर पा रही सरकार:गरिमा दसौनी
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सिलक्यारा टनल हादसा

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। गत वर्ष उत्तरकाशी जिले में हुए सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए चले रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड़ रूपये की अभी तक कंपनी से वसूली नहीं की जा सकी है।

ये कहना है कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी का। उन्होंने कहा कि नवंबर 2023 में जिस कंपनी की लापरवाही की वजह से सिलक्यारा टनल हादसा हुआ उससे सरकार अभी तक रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च हुए 100 करोड रुपए वसूल नहीं कर सकी है। उन्होंने इसे सरकार और नवयुग कंपनी के बीच की सांठ गांठ बताया।

कांग्रेस की दिग्गज नेत्री गरिमा दसौनी ने कहा कि सिलक्यारा टनल हादसा एक ऐसा भयावह हादसा था जिसने उत्तराखंड समेत समूचे देश की सांसे रोक दी थी,पूरा देश उस वक्त पल-पल की अपडेट देख रही थी और फंसे मजदूरों की सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रही थी।

17 दिनों तक 41 मजदूर एक टनल के अंदर फंसे हुए थे तमाम कोशिशें के बावजूद उन्हें निकाला नहीं जा पा रहा था, अंततोगत्वा रैट माइनर्स के अथक प्रयासों के बाद सभी मजदूरों को बाहर निकाला जा सका। एनएचआईडीसीएल (नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के निदेशक अंशु मनीष खलखो ने बयान जारी कर कहा था कि रेस्क्यू ऑपरेशन में हुए खर्च की राशि कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा दिए जाने का वादा किया गया था।

कई विभागों के द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन पर खर्च 100 करोड़ से अधिक के बिल कंपनी को जनवरी 2024 को भेज दिए गए थे लेकिन आज तक एक पाई भी कंपनी ने भुगतान नहीं किया और अब कंपनी ने साफ तौर पर भुगतान करने से मना कर दिया है। ऐसे में यह राशि उन तमाम विभागों के गले पड़ गई है जिन्होंने उस वक्त खर्च किया था। एक आरटीआई के मुताबिक करीब 92 लाख एनएचआईडीसीएल के,5.49 करोड़ एनईसीएल और राज्य के 13 विभागों के करीब 65.41 लाख रुपए इस रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए हैं ।

दसौनी ने कहा कि एनएचआईडीसीएल को सरकार ने सिल्कयारा व डंडालगांव के बीच 25 किलोमीटर की दूरी खत्म करने के लिए 4.859 किलोमीटर लंबी इस सुरंग के निर्माण का ठेका 1383.78 करोड रुपए में दिया था परंतु एनएचआईडीसीएल ने नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को यही ठेका जून 2018 में 853.79 करोड़ में दे दिया।

कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने राज्य सरकार से सवाल करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने सिल्कयारा टनल हादसे के तुरंत बाद यह घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी निर्माणाधीन टनलों का ऑडिट होगा परंतु वह घोषणा भी फाइलों में ही दबकर रह गई ।

जिस नवयुवक कंपनी से रेस्क्यू ऑपरेशन के 100 करोड रुपए वसूले जाने हैं सिल्कियारा टनल का ठेका मिलने के चार महीने बाद ही उस नवयुग कंपनी पर 26 अक्टूबर 2018 को आयकर छापे पड़े और 6 महीने बाद इसने 19 अप्रैल 2019 को 30 करोड रुपए के चुनावी बांड भाजपा को दिए, 2020 के मध्य में नवयुगा को सरकार की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लिंक परियोजना भी मिल गई और 10 अक्टूबर 2022 तक इस कंपनी ने कुल 55 करोड़ के चुनावी बांड भाजपा को दे दिए थे ।

नवयुग ने भी तीन अन्य कंपनियों श्री साईं कंस्ट्रक्शन, नवदुर्गा और पीबी चड्ढा को मजदूरों का ठेका दे दिया। तय हुआ की टनल एस्केप पैसेज और एप्रोच रोड 8 जुलाई 2022 तक बन जाएंगे, जुलाई 2018 में काम शुरू हुआ लेकिन अब तक 56ः ही हो पाया है अब तो इसकी डेडलाइन मई 2024 भी गुजर चुकी है।

दसौनी ने बताया कि और तो और रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जो टनल के अंदर मलबा आ गया था उसे तक साफ नहीं करवाया गया है। गरिमा ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले दिन से राज्य सरकार द्वारा नवयुग कंपनी को क्लीन चिट दिए जाने के विरोध में है और सरकार ने भी कहा था कि मजदूर बाहर आ जाएं तो नवयुग कंपनी पर एफआईआर दर्ज की जाएगी । नवयुग कंपनी या एनएचआईडीसीएल पर कठोर कारवाही तो एक तरफ इन दोनों का उत्तराखंड सरकार आज तक बालबांका भी नहीं कर पाई है इससे सरकार और इस कंपनी के बीच में सांठ गांठ कितने अंदर तक है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है या फिर हो सकता है सरकार किसी और अनहोनी का इंतजार कर रही हो।

Tirth Chetna

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