बगैर निकाय बोर्ड के शहरों का बुरा हाल

बगैर निकाय बोर्ड के शहरों का बुरा हाल
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प्रशासकों को नहीं दिख रही समस्या

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश/मुनिकीरेती। बगैर निकाय बोर्ड के शहरों का बुरा है। प्रशासन धरातलीय समस्याओं पर गौर नहीं कर रहे हैं। परिणाम आम लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं।

एक साल से अधिक समय से राज्य में निकाय बोर्ड भंग हैं। निकाय बोर्ड के स्थान पर व्यवस्थाएं प्रशासक के हवाले हैं। छोटी सरकारांे के प्रशासक के हाथ पर होने से शहरों का बुरा हाल है। तीर्थनगरी ऋषिकेश और इससे लगी नगर पालिका मुनिकीरेती में इसे देखा और समझा जा सकता है।

नगर निगम ऋषिकेश और नगर पालिका मुनिकीरेती को जोड़ने वाले चौदहबीघा का नए मोटर पुल पर अब निराश्रित गोवंश का ठौर बन चुका है। अतिव्यस्त इस पुल पर निराश्रित गोवंश की वजह से आए दुर्घटनाएं हो रही हैं। मेन हाइवे पर जाम के वक्त वाहन इसी पुल का उपयोग करते हैं।

निगम का और पालिका प्रशासन इस बात को अच्छे से जानते हैं। बावजूद इसके निदान का न तो निगम के स्तर पर और न ही पालिका के स्तर से कुछ किया जा रहा है। जब निकाय बोर्ड अस्तित्व में थे तब स्थिति ऐसी कतई नहीं होती थी।

निकाय में निर्वाचित प्रतिनिधि तमाम ऐसी समस्याओं को स्वयं की संज्ञान लेते थे। मगर, अब ऐसा नहीं है। निकाय प्रशासन ऐसी तमाम समस्याओं पर गौर नहीं कर रहे हैं। परिणाम लोगों तमाम दिक्कतांे का समाना करना पड़ रहा है।

Tirth Chetna

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