हरियाणा में भाजपा जीती और भाजपा सरकार हारी
सुदीप पंचभैया
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगातार तीसरी बार जीत मिली। हालांकि 2019 में बनीं भाजपा सरकार इस विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारी। कहा जा सकता है कि हरियाणा में भाजपा जीती और भाजपा की सरकार हारी।
जी हां, हरियाणा में विधानसभा चुनाव का परिणाम कुछ खास रहा। तमाम सर्वे कांग्रेस की आंधी बता रहे थे। मगर, ये आंधी सीटों में तब्दील नहीं हो सकी। वोट प्रतिशत के लिहाज से कांग्रेस का प्रदर्शन 2019 के मुकाबले शानदार रहा। 2019 में कांग्रेस को 28 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार करीब 39.09 प्रतिशत वोट और 37 सीट मिली।
एक प्रतिशत से भी कम वोट से पीछे रही कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल नहीं कर सकी। भाजपा 48 सीटों और 39.94 प्रतिशत वोट के साथ तीसरी बार हरियाणा में सत्ता संभाल चुकी है। ये चुनाव परिणाम भाजपा के अच्छे चुनाव मैनेजमेंट और कांग्रेस के मिस मैनेजमेंट के लिए खूब याद किया जाएगा।
कांग्रेस कुछ भी तर्क गढ़े सच ये है कि कांग्रेस को हराने का मैकेनिज्म उसके भीतर ही विकसित हो चुका है। जनता के पूरे सपोर्ट के बाद भी कांग्रेस की हार से ये साबित हो चुका है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में पूरे चुनाव में कौन बनेगा सीएम की प्रतिस्पर्द्धा चलती रही। ऐसा कर हरियाणा के कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के प्रयासों को भी जाने अनजाने पलीता लगाते रहे।
बहरहाल, हरियाणा में भाजपा को लगातार तीसरी बार भले ही जीत हासिल हुई हो। मगर, इस जीत में एक टीस भी है। भाजपा के कर्ताधर्ता इस टीस को जरूर महसूस कर रहे होंगे। दरअसल, लोगों ने 2019 में जिस सरकार को चुना था उसे इस चुनाव में बुरी तरह से हरा दिया। कहा जा सकता है कि हरियाणा में भाजपा जीती और भाजपा की सरकार हारी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आठ मंत्री चुनाव हार गए। मात्र दो मंत्री पानीपत ग्रामीण में महिपाल ढांडा और बल्लभगढ़ से मूलचंद शर्मा चुनाव जीतने में सफल रहे। विधानसभा अध्यक्ष भी चुनाव नहीं जीत सकें। अनिल विज भी चुनाव जीतने कामयाब रहे। मनोहर लाल खटटर के बाद सीएम बने नायब सिंह सैनी ने उन्हें कैबिनेट में नहीं लिया। अनिल विज के लिए ये शुभ साबित हुआ। अब वो मुख्यमंत्री बनने का दावा कर कैबिनेट मंत्री तो बन ही गए।
कुल मिलकार अधिकांश कैबिनेट मंत्रियों के चुनाव हारने से ये तो साफ है कि भाजपा सरकार के खिलाफ लोगों में खासी नाराजगी थी। लोकसभा चुनाव में ही लोगों ने इसे दिखा भी दिया था। विधानसभा चुनाव में भी लोगों को भाजपा सरकार के प्रति नाराजगी बरकरार रही।
चुनाव पूर्व हुए तमाम सर्वे और ग्राउंड रिपोर्ट भी ये बता रही थी कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार की विदाई तय है। लग रहा था कि भाजपा बुरी तरह से हारेगी। मगर, हुआ सबकुछ विपरीत। भाजपा चुनाव जीत गई और तीसरी बार हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही।
दरअसल, भाजपा ने लोगों की नाराजगी को बेहतर चुनाव प्रबंधन से निष्प्रभावी बना दिया। इसके लिए भाजपा ने पहले जेजेपी से नाता तोड़ा और इस चुनाव में उसे रसातल में भी पहुंचा दिया। 2019 में 10 सीटों के साथ किंग मेकर बनीं जेजेपी इस बार शून्य हो गई। कांग्रेस के मिस मैनेजमेंट से भी भाजपा को खासी मदद मिली। भाजपा ने जातिय समीकरणों को अच्छे से सादा। जबकि कांग्रेस ऐसा करने में थोड़ा पीछे रह गई।
चुनाव जीतने के लिए जो भी बेस्ट स्ट्रेटजी हो सकती थी भाजपा ने उसे अपनाया। टिकट न मिलने समेत अन्य वजहों से नाराज चल रहे नेताओं को साधा भी और भितरघात के असर को तमाम टूल्स अपनाकर कम किया। परिणाम हरियाणा में तीसरी बार भाजपा सरकार।