अपने अतीत को भूलाने पर उतारू बांग्लादेश
सुदीप पंचभैया।
भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। बांग्लादेश की दशा बिगड़ गई हैं दिशा मंे भटकाव आ चुका है। कहा जा सकता है कि वो अपने अतीत को भूलाने पर उतारू हो चुका है। इन सबके बीच सवाल ये है कि अल्पसंख्यक हिंदुओं को प्रताड़ित कर आखिर बांग्लादेश को क्या हासिल होगा। क्या बांग्लादेश पाकिस्तान जैसी व्यवस्था को आत्मसात करना चाहता है।
पाकिस्तान के पूर्वी छोर 1971 में भारत की मदद से अलग बांग्लादेश के रूप में अस्तित्व में आया। बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने और मान्यता देने में भारत का बड़ा योगदान रहा है। हालांकि इस पड़ोसी मुल्क की स्थापना के बाद ही भारत के साथ इसके रिश्ते कभी एक जैसे नहीं रहे।
रिश्तों मंे उतार चढ़ाव खूब देखे गए। तकरारें भी हुई। जल बंटवारे से लेकर बार्डर को लेकर भी खूब टेंशन रहे। घूसपैठ का मुददे भी समय-समय पर उठते रहे। हर मुददे पर बात हुई और दो पड़ोसी तरक्की करते गए। हाल के दशक मंे बांग्लादेश ने अपने पितृमुल्क पाकिस्तान को आर्थिक से लेकर तकनीकी मामलों में पीछे छोड़ दिया। अब पाकिस्तान में बांग्लादेश की तरक्की की चर्चा होती है।
इसमें भारत के योगदान को भी खूब रेखांकित किया जाता है। मगर, अगस्त 2024 से हालात तेजी से बदल गए। सरकार विरोधी ताकतों/ कटटरपंथियों ने पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने को मजबूर किया। इसके बाद बांग्लादेश एक तरह से जल उठा। यहां अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। उनके घर फूंके जा रहे हैं और उन्हंे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है। भारत के आम लोगों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हैं। भारत कई स्तरों पर इसको लेकर विरोध दर्ज भी कर चुका हैं।
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कटरपंथियों के चंगुल में फंसा बांग्लादेशी आवाम अब अपने गौरव को मिटाने पर अमादा है। बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं। मुद्रा से उनके चित्र को हटाने की बात चल रही है। उन निशानों को मिटाया जा रहा है जो इस क्षेत्र पर पाकिस्तानी जुल्मों को बयां करते हैं। कहा जा सकता है कि बांग्लादेश अपने इतिहास को ही मिटाने लगा है। ऐसा करते हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं को जिस तरह से निशाना बनाया जा रहा है उससे बांग्लादेश ने 55 सालों में जो कुछ विश्व स्तर पर अर्जित किया उसे खोने जैसा है।
अब वो दिन दूर नहीं जब विश्व स्तर पर बांग्लादेश को भी पाकिस्तान की तरह ही देखा और समझा जाएगा। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि बांग्लादेश दूसरा पाकिस्तान बनने की ओर अग्रसर हो गया। शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए दबे रहने वाले कटटरपंथी अब एका एक निर्णायक भूमिका में आ गए हैं।
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की जैसी हरकते हैं उससे तो ये यकीन के साथ कहा जा सकता है। पड़ोसी मुल्क मंे इस तरह के माहौल से भारत की कई तरह की चिंताएं हैं। बांग्लादेश अब पाकिस्तानियों के लिए अपने बॉर्डर खोलने वाला है। भारत बड़े कूटनीतिक तरीके से अपने चिंताओं को विश्व बिरादरी के सम्मुख रख रहा है। बांग्लादेश को सबक सीखाने के दबाव के बावजूद भारत सरकार बड़े सयंम से काम ले रही है।
भारत के विदेश सचिव का बांग्लादेश का दौरा हो चुका है। विदेश सचिव एक-एक बात से सरकार को अवगत करा चुके हैं।