ऐली बेटा रे मेरी पौड़ी बना इतिहास अब औण पोड़लु देहरादूण

ऐली बेटा रे मेरी पौड़ी बना इतिहास अब औण पोड़लु देहरादूण
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ऋषिकेश। राज्य गठन से पूर्व मंडल मुख्यालय पौड़ी का खासा रसूख था। हर किसी को पौड़ी आना पड़ता था। तब हास परिहास में कहते थे ऐली बेटा रे मेरी पौड़ी। अब दबाव डालकर कहा जा रहा है औण पोडलु देहरादूण।

बात 1984 या 85 की है। विधायक स्व. भगवती चरण निर्मोही की पहल पर सबधारखाल में एक कवि सम्मेलन हुआ था। तब हास परिहास में एक कवि ने ऐली बेटा रे मेरी पौड़ी का वाचन किया था। करीब एक दशक बाद मैने इसके रहस्य को समझा।

दरअसल, ये मंडल मुख्यालय पौड़ी का रसूख था। ऐली बेटा रे मेरी पौड़ी उसी रसूख का हिस्सा था। अब पौड़ी का ऐसा रसूख नहीं रहा। हां, पौड़ी का सांकेतिक रसूख हिलोरे मार रहा है। 21 साल में पौड़ी राज्य को चार मुख्यमंत्री दे चुका है। मुख्यमंत्री देते देते पौड़ी बेनूर हो गया।

बहरहाल, अब सभी धाणी देहरादूण हो गया और ठसक ऐसी कि औण ही पोडलू देहरादून। छह जुलाई को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का तीसरा दीक्षांत समारोह भी देहरादूण में ही हुआ।

विश्वविद्यालय मुख्यालय में दीक्षांत समारोह नहीं कराया गया। इसको लेकर जीरो बजट का जो तर्क दिया जा रहा है वो बेहद बचकाना है। ये पर्वतीय क्षेत्र की उपेक्षा है। जनप्रतिनिधियों की इस पर चुप्पी हैरान करने वाली है। 

Tirth Chetna

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