चारधाम यात्राः गत वर्ष के अनुभवों से सीख लेगा प्रशासन

तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। आदि धाम श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथि तय होते ही शासन/प्रशासन के स्तर से चारधाम यात्रा को लेकर बैठकें शुरू हो गई हैं। सवाल है कि क्या प्रशासन गत वर्ष के अनुभवों से सीख लेगा।
चारधाम यात्रा में ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन ने गत वर्ष यात्रा के उत्साह का फीका कर दिया था। लोग बगैर यात्रा किए ऋषिकेश से लौट गए थे। इसको लेकर पूरे वर्ष सरकार पर यात्रा के हितधारक गंभीर आरोप लगाते रहे है। केदारनाथ उपचुनाव में इस पर भाजपा को सफाई तक देनी पड़ी।
दरअसल, राज्य गठन के बाद चारधाम यात्रा यात्रा की व्यवस्थाओं में सरकारी मशीनरी का दखल लगातार बढ़ रहा है। जबकि चारधाम यात्रा पूरी तरह से स्थानीयता पर आधारित रही है। परिवहन की व्यवस्था प्राइवेट ऑपरेटर ( संयुक्त रोटेशन) संभालता है और अन्य व्यवस्थाएं बाजार के हवाले होती हैं।
ये व्यवस्था अविभाजित उत्तर प्रदेश से चली आ रही है और चारधाम यात्रा का संचालन बेहतर तरीके से होता रहा है। मगर, राज्य गठन के बाद हर साल यात्रा में कुछ न कुछ खामियां देखने को मिल रही हैं। इससे राज्य का तीर्थाटन प्रभावित हो रहा है। साथ ही पर्यटन पर भी इसका असर देखा जा सकता है।
ऐसे में जरूरी है कि चारधाम यात्रा की व्यवस्थाएं पूर्व की भांति की जानी चाहिए। कम से कम ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन का राड़ा तो नहीं रखा जाना चाहिए। गत वर्ष इसके अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि चारधाम यात्रा के गत वर्ष के अनुभवों से प्रशासन सीख लेता है या नहीं।
फिलहाल मंडलायुक्त ने बैठकों की शुरूआत कर दी है। यात्रा से संबंधित विभागांे को निर्देशित कर दिया गया है।