पहाड़ी स्प्रिंग रोल, पिंडळू (अरबी) पत्यूड़/ गुंडळू बणाण सगोर

पहाड़ी स्प्रिंग रोल, पिंडळू (अरबी) पत्यूड़/ गुंडळू बणाण सगोर
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       पहाड़ी क्षेत्र मा सौणा मैना खीर अर पिडंळू ( अरबी) पत्तों पत्यूड/गुंडळू बणाण की प्रथा च। सौणा मैना मा बुले जांद छ्यायी कि ये मैना दूध पीण अर खीर बणाण काम आंद, ये मैना पैल लोग डखुळी ( मक्खन रखने वाला लकड़ी का बर्तन) मा दूध नी धरद छ्यायी। बुले जांद छ्यायी कि ये मैना केवल खीर बणल। ये पैथर कारण यी छ्यायी कि ये बगत हर धास हूंद, जै से दूध पतळू ह्वे जांद, पतळू दूध घी नी लगदू। हमर पहाड़ी मुल्क मा सौणा मैना एक दूसर घर दूध दिये जांद छ्यायी। पूर गॉव मा पॅाती (नम्बर) लगद छ्यायी कि ये दिन फलण मौ यख दूध दीण, इन करी कन सरा मैना सब्यूं घर मा एक दिन दूध दीण प्रथा प्रचलित छेयी।

ये दगड़ी सौणा मैना हर सोमवार कुणी व्रत लीण विधान च। वै दिन व्रतोई खीर अर पिंडळू पत्तौं पत्यूड़/गुंडळू बणै कन खै करदन। हमर पहाड़ मा लोग खाणू खाणा बडौ शौकीन छ्यायी, सौणा मैना काम बगत ज्यादा रै करद, पुंगड़यूं मा धाण धंदा हूंद। धनकुरू कुणी चाय दगड़ मा पत्यूड/ गुंडळू बणै कन पुंगड़ी मा लेकन जये जांद छ्यायी, वख सब मिली कन गुंड़ळू स्वाद लींद छ्यायी। आज भी घर मा गुंडळू/ पत्यूड़ बणै कन खूब खये जंदीन।

आज हम रंत रैबार तरफ बिटी पहाड़ी स्पिग्र रोल यानी गुडळू/पत्यूड़ बणाणा द्वी विधि बतौला।

विधि न0 01ः या आम विधि छ, ज्यादातर लोग यी विधि से पत्यूड बणै करदन।
1. सबसे पैल पिडळू (अरबी) कुंगळ कुंगळ पत्ता काटी कन लेकन आण, उंते साफ बणै कन धूण, उंते सुखाण धर दीण।
2. वैक बाद कटोरी पर, बेसण, लेकन वी तै घोळी करी कन धरी दीण, वैमा मैणू मसल जन ल्यासण, अदरक, सब्बि मसल, लूण मर्च जरूरत हिसाब से मिलै दीण।
3. घूळयूं बेसण तै पिंडळू पत्तौं पर दू तरफा लपौड़ी दीण, वैक बाद सब पत्ता लपोड़ी कन उंते रोल जणी बणै कन धरी दीण।
4. चूल्लू मा प्रेशर कुकर पर जरूरत हिसाब से पाणी रखण वैक मत्थी कै भी चीज पत्ता जन माळू, हल्दी, जैक छाल मोटी ह्वाव तै धरी दीण, तब जू पिंड़लू पत्तो रोल बण्यूं वैते धरी कन कम तैंच (आंच) पर 10- 15 मिनट तक वैतै भाप मा पकाण।
5. जब भाप मा पकी जाल वैक बाद रोल तै स्प्रींग रोल जणी चक्कू काटी कन धरी दीण।
6. रोल बणाण बाद कढै मा तेल गरम करी कन जख्या या भंगुल तड़का डाळीकन उंते तळ दीण।
वैक बाद रूट्टी दगड़ी अर चाय मा खूब स्वाद लेकन खै सकदो।

गुडंळू/ पत्यूड़ बणाणा दूसर विधीः-
1. सबसे पैल पिडळू (अरबी) कुंगळ कुंगळ पत्ता काटी कन लेकन आण, उंते साफ बणै कन धूण, उंते सुखाण धर दीण, वैक बाद बरीक बणै कन पत्तौं तै काट दीण, पत्तौ तै कटण से पैल हत्थ पर कड़ू तेल तै खूब लगै दीण ताकि हत्थ पर किंकवळी ना लगो।
2. वैक बाद फिर हत्थ पर दुबर तेल लगै कन बरीक कटयां पत्तौ तै बेसण लूण मर्च, ल्यासण मैण मसल तै जरूरत हिसाब से मिलैकन पत्तौ तै आटा जणी ओल दीण। इथगा उलण कि जब तक पत्तौ पाणी अफीक नी छूटद। ध्यान रखण कि पत्तौं अर बेसण मा पाणी बिल्कुण नी मिलाण।
3. जब खूब उलै जाल वैक बाद वैते रोट जणी गोळ बणै कन पिडंळू पत्तौं पर लपेटी कन वैत धाग न बांदी दीण, फिर कढै पर हळकू आंच पर वैते भंपाण धरी दीण। लगभग 15-20 तकन वैतै भाप मा पकै कन निकाळी धरी दीण।
4. वैक बाद वै तै भी स्प्रिंग रोल जणी काटी कन कडू तेल मा भंगुल/ जख्या तड़का मा तळ दीण।

वैक बाद रूट्टी दगड़ी अर चाय मा खूब स्वाद लेकन खै सकदो।

Amit Amoli

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