उपलब्धियों से भरपूर दून यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल का एक वर्ष का कार्यकाल
देहरादून। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.सुरेखा डंगवाल का एक वर्ष का कार्यकाल अकादमिक अनुशासन एवं शोध प्रोत्साहन को समर्पित रहा। एक साल में कुलपति ने एक दिन का भी अवकाश नहीं लिया।
19 जनवरी 2021 को प्रो. सुरेखा डंगवाल ने दून विश्वविद्यालय का कुलपति का दायित्व संभाला था। आज उनके कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया। ये साल दून विश्वविद्यालय के लिए उपलब्धियों से भरपूर रहा। कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अकादमिक अनुशासन एवं शोध प्रोत्साहन में सफल रहा।
दून विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की कोरोना काल में ऑनलाइन,ऑफलाइन एवं हाइब्रिड मोड में कक्षाओं का संचालन कर अध्ययन व अध्यापन हेतु उचित वातावरण का निर्माण करने तथा समय पर परीक्षाओं का संचालन एवं परीक्षा परिणाम घोषित करने से सत्र को नियमित रूप से संचालित करने में सहायता मिली।
इसके अलावा शोध की गुणवत्ता, उत्कृष्टता एवं निरंतरता को ध्यान में रखते हुए समय पर पीएच डी पाठ्यक्रमों में प्रवेश से शोध के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने मे सहायता मिली और प्रत्येक स्कूल में पीएच डी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने से शोध का वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है।
कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में विश्वविद्यालय के अकादमिक वातावरण को जीवन्त एवं गुणवत्ता युक्त बनाने की दिशा में कई कदम उठाए विभिन्न विषयों में जहां अध्यापकों की कमी थी वहां शिक्षकों को नियुक्त किया गया,.कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति, ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के दौरान विद्यार्थियों को किसी प्रकार का अवसाद व तनाव न हो इसके लिए काउंसलिंग एवं समुचित संवाद की व्यवस्था की गई ।
देश एवं दुनिया के विभिन्न संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों से जुड़े विषय विशेषज्ञों को शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साथ अकादमिक संवाद के लिए आमंत्रित किया गया और यह प्रक्रिया बृहद स्तर पर चलाई गई जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।
कुलपति ने पूरे साल कोई अवकाश नहीं लिया। वो पूरी तरह से विश्वविद्यालय के विकास के लिये सक्रिय रहीं। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिये क्रिडा, खेल कूद एवं सास्कृतिक कार्यक्रमो को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
वर्ष 2017 से 2020 तक की चार वर्ष के विद्यार्थियों को उनकी उपाधियाँ मिल मिल सके इसके लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया । साथ ही पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत जन- सहभागिता के साथ कई कार्यक्रम संचालित किए और आम व्यक्ति को विश्वविद्यालय से जोड़ने की पुरजोर कोशिश की।
शोध एवं शिक्षण हेतु विश्वविद्यालय में माकूल वातावरण निर्मित हो इसके लिए वे प्रयासरत हैं जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालय के 2 शिक्षक अपने विषय के वैश्विक स्तर पर दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल हुए।
उत्तराखंडी लोक कला,भाषा एवं सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दृष्टि से स्नातकोत्तर स्तर पर एम ए थिएटर पाठ्यक्रम का संचालन व लोक भाषाओं मे सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किया गया इससे उत्तराखंड की बहुमूल्य संस्कृति भाषा एवं परंपराओं को संरक्षण व प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी।
डॉ. नित्यानंद हिमालयन शोध एवं अध्ययन केंद्र के स्थापित होने से भूविज्ञान क्षेत्र में प्रमाणिक एवं मौलिक शोध संचालित करने में मदद मिलेगी कुलपति ने कई पाठ्यक्रमों में इस वर्ष से प्रवेश प्रारंभ किए गए हैं जो विश्वविद्यालय को विस्तार देने के लिए महत्वपूर्ण है ।
विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के शिखर तक पहुंचाने के लिए आप की शुरुआत काफी मजबूत एवं स्थिर नजर आती है । आप के समर्पण एवं दूर दृष्टि नेतृत्व से आने वाले भविष्य में वि0 वि0 नयी ऊचाइयों को प्राप्त करेगा।