कैसे पुनर्जीवित होंगे प्राकृतिक जल स्रोत

कैसे पुनर्जीवित होंगे प्राकृतिक जल स्रोत
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सुभाष इंटर कॉलेज थौलधार के बाल वैज्ञानिक कर रहे अनुसंधान

तीर्थ चेतना न्यूज

नई टिहरी। तेजी से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोतों को कैसे पुनर्जीवित किया जाए ? सुभाष इंटर कालेज, थौलधार के बाल वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के सुभाष इंटर कालेज के चार बाल वैज्ञानिक दीपक पंवार, सुजल पंवार,रौनक खत्री एवं आयुष सिंह स्कूल के शिक्षक राजेश चमोली के निर्देशन में प्राकृतिक जल स्रोतों पर काम कर रहे है। गरज ये है कि आखिर मृत प्रायः जल स्रोतों को फिर से कैसे रिचार्ज किया जाए।

शिक्षक राजेश चमोली ने इस परियोजना के बारे में हिंदी न्यूज पोर्टल से विस्तार से बताया। कहा कि तेजी से सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का प्रयाश किया जाना नितांत आवश्यक है। प्राकृतिक जल स्रोतों को कैसे रिचार्ज/पुनर्जीवित किया जाय पर अनुसंधान कर परियोजना कार्य कर रहे है।

चमोली ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से संचालित एनसीएससी के तहत छात्र/छात्रों को लघु अनुसंधान हेतु एक मुख्य विषय दिया जाता है। इसमें पांच उपविषय होते है। छात्रों को एक उप विषय पर शोध कार्य करना पड़ता है और भविष्य की योजना राज्य से लेकर राष्टीय स्तर तक प्रस्तुतिकरण करना पड़ता है, जिससे छात्रों में अनुसंधान की प्रवृत्ति पैदा हो।

इस वर्ष का मुख्यविषय अंडरस्टैंडिंग इकोसिस्टम फॉर हेल्थ एंड वेल बिइंग और विषय में नो योर इकोसिस्टम, फॉस्टरिंग हेल्थ, न्यूट्रेशन एंड वेल बिइंग, सोशियल एंड कल्चरल प्रैक्टिस फॉर इकोसिस्टम एंड हेल्थ और इकोसिस्टम बेस्ड एप्रोच फॉर सेल्फ रेलाइंस है।

बताया है कि स्कूल के चार बाल वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता के लिए पारिस्थितिकी तंत्र आधारित दृष्टिकोण के तहत प्राकृतिक जल स्रोत को कैसे रिचार्ज /पुनर्जीवित किया जाय पर अपना शोध कार्य कर रहे हैं। जिसमें बाल वैज्ञानिक दीपक पंवार, सुजल पंवार,रौनक खत्री एवं आयुष सिंह है।

बताया कि पानी की समस्यां से पूरा विश्व ही विकट परिस्थितियों में है,अगर पानी को संरक्षित न किया गया तो भविष्य कष्टकारी होगा, पानी को बचाना समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है, विकास की दौड़ में प्राकृतिक जल स्रोत विलुप्त की कगार में है,कही है भी तो केवल मवेशियों के लिए चारागाह ही बन कर रह गए है।इस संकट से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर कोई कारगर नीति बनानी होगी। फिलहाल बाल वैज्ञानिको का सर्वेक्षण और शोध कार्य गतिमान है।

 

Tirth Chetna

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