बेटियां सौभाग्य का प्रतीक होती है :मुरारी बापू

बेटियां सौभाग्य का प्रतीक होती है :मुरारी बापू
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मुनिकीरेती के खेल स्टेडियम में श्री रामकथा का शुभारंभ

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। बेटियों का जवाब नहीं हैं। बेटियां हैं तो सब कुछ है। बेटियां सौभाग्य का प्रतीक होती है। बेटियों का अपने पिता पर विशेषाधिकार होता है।

ये कहना है कि प्रख्यात कथा वाचक मुरारी बापू का। मुनिकीरेती स्थित खेल स्टेडियम मंे यह 946 वीं श्री रामकथा के शुभारंभ पर उन्होंने बेटियों की महिमा को रेखांकित किया। उन्होंने कथा का आयोजन कर रही सात बेटियों को साधुवाद दिया। कहा कि बेटियों का जवाब नहीं हैं। बेटियां हैं तो सब कुछ है। बेटियां सौभाग्य का प्रतीक होती है। बेटियों का अपने पिता पर विशेषाधिकार होता है।

पहले दिन मुरारी बापू ने कथा के केंद्र मानस ब्रह्म विचार के बारे में बापू ने कहा कि जहां आज आपस में,देश-देश में आदि हर जगह भ्रम जाल फैला है उसके अंधकार को दूर करने में ब्रह्म विचार एक औषधि है। बापू ने सात सोपान रुपी सात विचारों बाल काण्ड से विवेक विचार, आरण्य काणड से वैराग्य विचार, सुंदर काण्ड से वियोग विचार , लंका काण्ड से विलास विचार आदि के बारे में चर्चा की। बापू ने सात रसों में वैराग रस की महिमा का वर्णन करते हुए राम कथा के प्रथम सोपान में प्रवेश किया।

शुभारंभ के मौके पर सीएम के प्रतिनिधि शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बापू का स्वागत किया । इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मौजूद थे। स्वामी चिदानंद ने कहा कि बापू का जीवन तप भरा है। बापू 80 वर्ष की आयु में भी लगातार अविरल पूरे विश्व में भक्ति की अलख जला जनजागरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये बापू का और राम नाम का ही प्रताप है कि यूनाइटेड नेशन में भी श्री राम कथा आयोजित हुई। कथा श्रवण कर रहे भक्तों का सौभाग्य है कि गंगा किनारे हो रही कथा में छठ पर्व पर गंगा समान गुरु गोद में बैठ कर कथा श्रवण का पुण्य मिलेगा।

राम कथा के प्रथम दिन शुभ अवसर पर मोरारी बापू ने उत्तराखंड सरकार, मुख्य अतिथियों, शासन प्रशासन और सभी लोगों का जिन्होंने प्रेम यज्ञ आहूति दी एवं कथा श्रवण करने आए सभी श्रद्धालु को साधूवाद दिया। राम कथा में देश विदेश के हजारों श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए योगनगरी पहुंच रहे है। कथा का शुभारंभ परंपरागत हनुमान चालीसा एवं स्वस्ति वाचन से हुआ। योग नगरी में हो रही कथा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भी कथा का रसपान किया।

Tirth Chetna

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