बात शिक्षक की! बैक डेट सीनियरिटी का मामला सुलझना जरूरी
मुददे शिक्षक की नजर में
उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा में शिक्षकों से जुड़े मुददे/समस्याएं समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। हाई स्कूल/ इंटर कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के कई प्रकार हो गए हैं। शिक्षक अपना प्रकार बताने से भी नहीं हिचकिचा रहे हैं। परिणाम शिक्षक के नाम के आगे प्रकार भी लगने लगा है।
इससे पैदा हो रही पेचदगियों को शिक्षा विभाग/ शासन को दूर करना चाहिए। मगर, ऐसा होता नहीं दिख रहा है। विभाग/शासन एक तरह से तमाशबीन जैसा बन गया है। शिक्षक अपने प्रकार को लेकर आपस में उलझ गए हैं। परिणाम शिक्षक सेवा काल में एक भी प्रमोशन पाए निवृत्त हो रहे हैं। इसका फायदा ना जाने किसे हो रहे हैं।
हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com और हिन्दी सप्ताहिक तीर्थ चेतना इन तमाम मुददों पर शिक्षकों के विचार आमंत्रित करता है। इस क्रम में प्रवक्ता कल्याण समिति के अध्यक्ष मुकेश बहुगुणा ने विचार/सवाल प्रस्तुत किए हैं।
मुकेश बहुगुणा
मुख्य मुद्दा वर्ष 2010/11 में एल टी सहायक अध्यापक से प्रवक्ता पद पर मौलिक रूप से पदोन्नति पाए प्रवक्ताओं को बैक डेट सीनियरिटी दिए जाने से है। यह कार्य 2010-11 के बाद में होने वाली एल टी से प्रवक्ता पदों की पदोन्नति में नहीं हुआ है। केवल और केवल 2010-11 वालों को ही बैक डेट सीनियरिटी का लाभ दिया जाना कहां तक उचित है??’ यदि 2010-11 के पदोन्नति पाए प्रवक्ताओं का तर्क यह है कि वे पांच साल में ही इस पद हेतु योग्य हो गये थे इसलिए वहां से उनकी वरिष्ठता निर्धारित हो ….। अगर इस तर्क को सही मान भी लें तो, उनके ही एल टी सहायक अध्यापक साथी जो अभी अन्य विषयों के एल टी पद में ही कार्यरत हैं.. उनकी वरिष्ठता कहां होगी ??? व 2011 के बाद अन्य विषय के जो पदोन्नत प्रवक्ता हुए हैं, तो उन्हें फिर इस सुविधा का लाभ क्यों नहीं मिला ???’
वर्ष 2010-11 में मौलिक रूप से पदोन्नति पाए प्रवक्ता को जब प्रवक्ता संवर्ग की संयुक्त वरिष्ठता सूची में स्थान मिला हुआ है तो पिछले कनिष्ठ पद यानि कि एल टी पद की वरिष्ठता सूची में भी उनकी वरिष्ठता यथावत है। एल टी पद में भी व प्रवक्ता पद पर दोनों जगह से वरिष्ठता सूची में उनका नाम यथावत होने से उन्हें दोनों जगह की वरिष्ठता का लाभ मिल रहा है, ……..यानि की उच्च पद जहां से भी नंबर पहले आ जाय पदोन्नति के अवसर मिल रहे हैं। और उनके साथ या उनसे वरिष्ठ एल टी जिनके विषय में पदोन्नति देर से होती है वे लोग तो इस दूसरे लाभ से पूरी तरह वंचित हैं।’
पदोन्नति का एक विकल्प तदर्थ पदोन्नति भी होता है पर तदर्थ पदोन्नति में सेवा की गणना मौलिक पदोन्नति होने की तिथि से ही की जाती है। इस कारण लोग मौलिक पदोन्नति की बात करते हैं। वरिष्ठता सेवा नियमावली का नियम 4 ज तदर्थ सेवा को वरिष्ठता का आधार नहीं मानता है।’अब यदि आज तदर्थ पदोन्नति भी करनी हो तो शासनादेश 2158 वर्ष 2001 उत्तराखंड सरकार का वह भी गायब हो चुका है तो तदर्थ पदोन्नति अब किस आदेश से होगी ????’
हमारी लड़ाई किसी भी साथी से नहीं है, हम नियमों के आलोक में ही अपने हकों की बात कर रहे हैं। कुछ लोग हमारी लड़ाई को एल टी के साथ जोड़ रहे हैं… जो कि सरासर ग़लत है। एल टी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति हो , इस हेतु हमारी याचिका कहीं भी अवरोध नहीं है। हम एल टी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति का समर्थन करते हैं। और प्रधानाध्यापक पद पर बैक डेट सीनियरिटी का हल निकालकर पदोन्नति के पक्ष में हैं।’
हमारी याचिका मात्र 2010-11 में मौलिक रूप से पदोन्नति पाए उन लोगों के विरोध में है जिन्हें बैक डेट सीनियरिटी प्रदान कर दी गयी। इसके अतिरिक्त बाद में पदोन्नत प्रवक्ता, तदर्थ प्रवक्ता, आयोग प्रवक्ता, एल टी संवर्ग, बेसिक जूनियर संवर्ग, आदि किसी के विरोध में नहीं है। और जिन लोगों को बैक डेट सीनियरिटी भी दी गयी है उनसे भी व्यक्तिगत कोई विवाद नहीं है, …. उन लोगों को विभाग की गलतियों व नियमावली के विपरीत लाभ मिला…. बस इसी पर हम न्याय हेतु संघर्ष कर रहे हैं।’
बैक डेट सीनियरिटी विवाद के निवारण हेतु विगत वर्ष 2023 में सर्व प्रथम 28 फरवरी 2023 को माननीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, उक्त बैठक में शासन व विभाग के अधिकारी, संगठन के पदाधिकारी भी मौजूद थे। वहां पर मेरे द्वारा यह सब तथ्य रखे गये जिनकी चर्चा लगातार हो रही है उत्तराखंड सरकार के शासनादेश गायब होने की बात भी बैठक में रखी गयी थी … उपरोक्त तथ्यों पर सहमति जताते हुए पुनः बैठक शासन स्तर पर करने की बात भी हुई।
’शासन स्तर में उपरोक्त सन्दर्भ में दोबारा बैठक नहीं हुई पर विभागीय स्तर पर संगठन के वर्तमान प्रांतीय पदाधिकारियों की मौजूदगी में विगत वर्ष बात हुई। जहां पर पूर्व में हुई गलतियों को मौखिक रूप माना तो गया पर बैक डेट सीनियरिटी को आज तिथि तक सही नहीं किया गया है।’
बैक डेट सीनियरिटी के मुद्दे का हल निकलना जरूरी है। इस हेतु हम शासन, विभाग, 2010 के मौलिक पदोन्नत प्रवक्ता, संगठन सभी के साथ सकारात्मक वार्ता हेतु तैयार हैं। पर हम यह चाहते हैं अगर यह वार्ता हो तो इस पर प्रमुखता से निर्णय लेने वाले विभागीय उच्च स्तर के अधिकारी वहां पर सही ग़लत का निर्धारण करते हुए हल निकालने का प्रयास करें। वार्ता आफिशियल हो व सभी पक्षों को अपना मत नियमावली व शासनादेश के अनुसार रखने का पूर्ण अवसर मिले।’