उत्तराखंड की जमीन के लूटेरे बर्दाश्त नहींः मोहित डिमरी

उत्तराखंड की जमीन के लूटेरे बर्दाश्त नहींः मोहित डिमरी
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तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। निवेश के नाम पर उत्तराखंड में जमीन हड़पने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए सशक्त भू-कानून और 1950 की कट ऑफ डेट के मुताबिक मूल निवास जरूरी है।

ये कहना है मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी का। डिमरी ने समिति के सदस्यों के साथ ऋषिकेश प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने 29 सितंबर को ऋषिकेश में उक्त विषय को लेकर आयोजित स्वाभिमान महारैली की सफलता के लिए लोगों का आभार प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि महारैली की सफलत संघर्षरात साथियों का जोश दुगना कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के अस्तित्व को बचाने के लिए सशक्त भू-कानून जरूरी है। राज्य खाला का घर न बने इसके लिए जरूरी है कि 1950 को कट ऑफ डेट मानकर मूलनिवास की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार लोगों की भावनाओं को समझने में नाकाम रही है। यही वजह है कि 2017/18 में राज्य में जमीनों की खरीद को अंकुश मुक्त कर दिया है। आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार ने ऐसा अपने दिल्ली में बैठे आकाओं के इशारे पर किया। उन्होंने दो कहा कि निवेश के नाम पर आने वाले जूमीन के लूटेरों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एक सवाल के जवाब में डिमरी ने कहा कि वास्तव में राज्य को खाला का घर बना देने से यहां के मूल निवासी कई तरह से प्रभावित हो रहे हैं। उनकी राजनीतिक हैसियत सिमट रही है। डांडी कांठयूं के लिए शुभ लक्षण नहीं हैं। इस पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी हैरान करती है। नए परिसीमन में कई बातें और स्पष्ट हो जाएंगी।

उन्होंने कहा कि बाहर से आकर यहां रह रहे लोगों को 30 साल लागातर रहने पर ही मात्र घर बनाने के लिए ही भूमि खरीदने की अनुमति हो। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऋषिकेश जैसी महारैली अब केंदारनाथ समेत अन्य शहरों में की जाएंगी।

इस मौके पर लुसुन टोडरिया, हिमांशु रावत, बॉबी रांगड़, उषा डोभाल, एलपी रतूड़ी, प्रांजल नौटियाल, सूरज डोगरा, हर्ष व्यास, सुदेश भटट आदि मौजूद रहे।

Tirth Chetna

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