मंत्री-सचिव विवाद का कामकाज पर दिख रहा असर
देहरादून। राज्य की खाद्य मंत्री रेखा आर्य और विभागीय सचिव सचिन कुर्वे के बीच जिला पूर्ति अधिकारियों के तबादलों को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, ये बात सामने आने लगी है कि विभाग के कामकाज पर इसका असर दिखने लगा है।
उत्तराखंड राज्य में मंत्रियों और विभागीय सचिवों के बीच विवाद कोई नया नहीं है। पहली निर्वाचित सरकार से लेकर पांचवीं निर्वाचित सरकार तक ये क्रम जारी है। हर विवाद में जनहित ना के बराबर होता है। परिणाम लोगों इसमें खास रूचि नहीं दिखाते। विवाद न तुम जीते और न हम हारे की तर्ज पर समाप्त होते हैं।
विवाद ज्यादा बढ़ते हैं तो आगे-पीछे के कई मामले कई तरहों से बाहर भी निकलने लगते हैं। राज्य की खाद्य मंत्री रेखा आर्य और विभागीय सचिन सचिन कुर्वे के बीच जिला पूर्ति अधिकारियों के तबादले के मामले में भी ऐसा ही दिख रहा है।
मंत्री मीडिया तक में अपनी बात बेहद प्रभावी ढंग से रख रही है। ऐसा प्रचारित किया जा रहा है जैसे बिगड़ैल नौकरशाही पर लगाम के प्रयास हो रहे हैं। मगर, हकीकत में ऐसा दूर-दूर तक नहीं है।
सचिव सचिन कुर्वे ने जवाब के तौर पर जो पत्र मंत्री को लिखा है उसका सीधा-सीधा मतलब है कि मंत्री बेवजह तबादलों को तूल दे रही है। जबकि सब कुछ नियमानुसार ही हुआ है। मंत्री रेखा आर्य को कुछ और मंत्रियों का भी साथ मिलने की बात सामने आ रही है।
इस मामले में खास बात ये है कि न तो मुख्यमंत्री और न ही मुख्य सचिव ने किसी प्रकार से रिएक्ट किया। पूर्व में भी मंत्रियों के सचिवों से उलझने के मामले में अधिकांश मुख्यमंत्री चुप ही रहे हैं। ऐसा ही इस मामले में भी दिख रहा है।
अब ये बात सामने आने लगी है कि इस विवाद का असर विभाग के कामकाज पर भी दिखने लगा है। विवाद आगे बढ़ा तो असर दिखेगा भी।