निकाय चुनावः गैर गोत्रियों से जूझना होगा भाजपा कार्यकर्ताओं को
मामला मेयर, पालिका/ पंचायत के अध्यक्ष के टिकट का
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। राज्य में निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके साथ ही सत्ताधारी भाजपा में मेयर, पालिका/ नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षदी के टिकट को लेकर धीरे-धीरे बोल कोई सुनना ले की तर्ज पर राजनीति शुरू हो गई है।
राज्य में निकायों के चुनाव करीब एक साल टल चुका है। एक साल से छोटी सरकारें बाबुओं के नियंत्रण में हैं। अब संभावना है कि अक्तूबर में निकाय चुनाव हो ही जाएंगे। शासन/प्रशासन के स्तर पर इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इसके साथ ही सत्ताधारी भाजपा के कार्यकर्ताओं की सक्रियता एकाएक बढ़ गई है।
इस चुनाव के बहाने भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के अच्छे दिन आ सकते हैं। इसके लिए मेयर, पालिका/ नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षदी/ सभासदी के टिकट को लेकर धीरे-धीरे बोल कोई सुनना ले की तर्ज पर कार्यकर्ता आंकाओं की शरण में पहुंचने लगे हैं।
हालांकि कई निकायों में भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं की राह आसान नहीं होगी। भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल हुए गैर गोत्रिय नेताओं और उनके समर्थकों के साथ टिकट के लिए टफ प्रतिस्पर्द्धा फेस करनी पड़ेगी।
2018 के निकाय चुनाव में भी ऐसा देखा गया था। तब कई निकायों में भाजपा के मूल कार्यकर्ता देखते रहे गए थे। विरोध करने पर पार्टी से बाहर भी कर दिए गए थे। कुछ उम्मीद के साथ पार्टी में लौट भी आए हैं। मगर, हालात 2018 से बहुत ज्यादा भिन्न नहीं हैं।
इस बार लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल कराया। उक्त नेताओं की नजर निकाय चुनावों पर है। उक्त नेता कमल निशान के माध्यम से निकार्यों की राजनीतिक में सक्रिय होने की इच्छा भी रखते हैं।
ऐसे 20 प्रतिशत नेताओं को भी भाजपा ने मैनेज किए तो पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं के हित प्रभावित होंगे और नहीं किया तो…… इस बात भाजपा के आम कार्यकर्ताओं के बीच भी खूब चर्चा है। अब देखने वाली बात होगी कि ऐसे मामालों से भाजपा संगठन कैसे निपटता है।