नौकरी घोटाले से सुरक्षित निकलने को शुरू हो गए एकजुट प्रयास

कुछ लोगों को अभी भी ऑल इज वेल का भरोसा
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। उत्तराखंड में सरकार नौकरी घोटाले से सुरक्षित निकलने के लिए एकजुट प्रयास शुरू हो गए। राज्य के लोगों की इस पर चुप्पी और कुछ लोगों को अभी भी ऑल इज वेल का भरोसा सफेदपोशों को सेफ पैसेज दे रहा है।
राज्य में एक खास तरह का पद है। इसमें बैठकर ऐसे अधिकार मिल जाते हैं कि आप सरकारी नौकरियों की रेवड़ियां बांट सकते हैं। इसमें अपने नाते रिश्तेदारों को नौकरी देकर मीडिया के कैमरे में स्वीकार करने में भी कोई झिझक नहीं होती। इस विशेषाधिकार कहते हैं और इसके माध्यम से नौकरी घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास हो रहा है।
जनता के प्रति जिम्मेदारी के भाव को देखें तो फिलहाल राज्य की चौथी विधानसभा और सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है। यदि अंतरिम विधानसभा के स्पीकर, पहली विधानसभा के स्पीकर, दूसरी और तीसरी विधानसभा के स्पीकर ने गलत तरीके से भर्तियों की तो चौथी विधानसभा के स्पीकर ने इस पर सवाल क्यों नहीं उठाए।
तीसरी विधानसभा के स्पीकर को लेकर भाजपा ने 2016 में खूब हो हल्ला किया। मगर, सरकार में आते ही भाजपा ने इस पर मौन साध दिया। 2021 के आते-आते भाजपा सरकार में भी चौथी विधानसभा के स्पीकर ने भी वैसा ही कुछ किया जैसे पूर्ववर्तियों ने किया।
हैरानगी देखिए विशेषाधिकार के नाम एक-दूसरे को प्रोटेक्ट किया जा रहा है। इसे आपक नौकरी घोटाले से सफेदपोशों के साफ बच निकलने के प्रयास के रूप में देख सकते हैं। समाज के रिएक्शन और चर्चा से कहा जा सकता है कि सफेदपोश इसमें सफल होते भी दिख रहे हैं।
नौकरी घोटाले को लेकर राज्य का युवा अभी उनिंदा सा है। देहरादून, समेत कुछ शहरों में थोड़ा बहुत सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों को लगता है कि जिसके नाम पर वोट दिया वो सब कुछ ठीक कर देगा। जनता का यही भाव नौकरी के घोटालेबाज सफेदपोशों को सेफ पैसेज दे रहा है।