शिक्षिका इंदुबाला गौड़ की प्रेरणा कर गई काम
तीर्थ चेतना न्यूज
मुनिकीरेती। मैने कलम उठाई लिखने को हाल-ए-दिल न जाने कैसे स्कूल की तस्वीर बन गई। ये पंक्ति शिक्षिका इंदुबाला गौड़ पर सटीक बैठती है। स्कूल के नन्हें छात्र/छात्राओं के चेहरे पर रंग, ब्रश और आकृति को उकेरने का उत्साह दिखता है। इसी उत्साह और आत्मविश्वास में शिक्षिका इंदुबाला गौड़ का काम दिखता है और काम बोलता भी है।
जी हां, बात हो रही है टिहरी जिले के सबसे अधिक छात्र संख्या वाले स्कूल राजकीय प्राथमिक विद्यालय शीशमझाड़ी की। यहां तैनात है शिक्षिका इंदुबाला गौड़। वो 31 मार्च को वो सरकारी सेवा से निवृत्त हो जाएंगी। मगर, पढ़ाने, सीखाने और नन्हें छात्र/छात्राओं को प्रेरित करने का उनका उत्साह कतई कम नहीं हुआ।
शिक्षिका इंदुबाला गौड़ सेवाकाल में जिस भी स्कूल में तैनात रही नन्हें छात्र/छात्राओं पर खास छाप छोड़ने में सफल रही। राजकीय प्राथमिक विद्यालय, शीशमझाड़ी में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने ड्राइंग में स्कूल के छात्र/छात्राओं को लोकल, ब्लॉक, डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल स्तर तक में प्रतिभाग कराया।
उन्हीं की प्रेरणा थी कि स्कूल के छात्र/छात्राओं ने ड्राइंग के क्षेत्र में नेशनल स्तर तक में अपना लोहा मनवाया। इस सरकारी स्कूल के छात्रों टीएचडीसी द्वारा आयोजित नेशनल ड्राइंग प्रतियोगिता, राजभवन देहरादून में राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता में साधन संपन्न स्कूलों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय शीशमझाड़ी के छात्र/छात्राओं ने कड़ी चुनौती ही नहीं बल्कि कई मौकों पर पछाड़ा भी।
दरअसल, शिक्षिका ने स्कूल में रंगों का माहौल बना दिया है। छात्र/छात्राओं के चेहरों पर रंग, ब्रश आकृति को उकेरेना का उत्साह देखते ही बनता है। उनमें रंगों की पहचान और रंगों की समझ अच्छे से विकसित हो चुकी है। यहां से पांचवीं पास आउट होने के बाद शहर के अन्य स्कूलों में भी यहां के छात्र/छात्रा अपना डंका बजाने में सफल रहते हैं।
ये किसी स्कूल की बड़ी उपलब्धि है। बगैर किसी हो हल्ला के शिक्षिका इंदुबाला गौड़ कभी स्कूल की दीवारों को सजाते तो कभी छात्र/छात्राओं को कागज में छात्र/छात्राओं को चित्र अच्छे से उकेरने के लिए प्रोत्साहित करती दिख जाएंगी। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि उनके काम का मूल्यांकन हो रहा है या नहीं।
हैरानगी की बात ये है कि ऐसे तमाम शिक्षकों का काम अधिकारियों की नजरों में नहीं आ पाता। या अधिकारी ऐसे काम पर नजर नहीं देते। विभाग ने ऐसा कोई मैकेनिज्म भी तैयार नहीं किया जिससे खास करने वाले शिक्षक/शिक्षिकाओं का मूल्यांकन हो सकें।
शिक्षिका इंदुबाला गौड़ जैसे तमाम शिक्षक/शिक्षिकाओं को हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com का सलाम ।