जनप्रतिनिधियों की ईमानदारी और नैतिकता से काबू में रहती है नौकरशाही

देहरादून। जनप्रतिनिधियों की ईमानदारी और नैतिक बल नौकरशाही को काबू में रखने के लिए सबसे जरूरी गुण होता है। स्वतंत्र भारत में ईमानदार जनप्रतिनिधियों के तमाम किस्से भी अक्सर सुनने को मिलते हैं।
इन दिनों उत्तराखंड में एक बात की चर्चा है कि मंत्रियों को सचिव, जिला पंचायत अध्यक्ष को डीएम और ब्लॉक प्रमुख को बीडीओ की सीआर लिखने का अधिकार मिले। ये मांग सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की मांग पर इस प्रकार की व्यवस्था बनाने के निर्देश मुख्य सचिव को दे दिए हैं।
दरअसल, नौकरशाही की सीआर लिखने का अधिकार मिलने से राज्य के हित का कोई लेना देना नहीं है। संभव है कि कुछ लोगों को इसका लाभ मिल जाए। विभागों में सीआर लिखना रूटिन वर्क है। 22 सालों में इसका कोई असर राज्य की बेहतरी के रूप में नहीं दिखा।
दरअसल, नौकरशाही को काबू में रखने के लिए जनप्रतिनिधियों में ईमानदारी और नैतिक बल की जरूरत होती है। शपथ में आने वाले शब्द भय/पक्षपात मुक्त पर अमल करने का जज्बा होना चाहिए। यदि जनप्रतिनिधियों में ऐसा है तो अधिकारी की सीआर उनके जुबान पर होगी। इस पर लाल/हरी स्याही की जरूरत नहीं होगी।
उत्तराखंड के 22 साल के इतिहास में ऐसा बहुत कम दिखा। जो दिखाया गया वो अंदरखाने होता नहीं है। नौकरशाहों ने अपने हित के लिए खास पदों पर बैठे नेताओं को डैडी तक बना दिया। कीचन कैबिनेट के हिस्से हो गए। कुछ पर राजनीतिक दलों को रंग भी साफ-साफ दिखा। पद पर रहते हुए माननीयों को ये खूब पसंद आता है। ऐसे गिरगिट नौकरशाही की सीआर तो अतिउत्तम ही होगी।