होली मिलन समारोह में राजनीति का चटक रंग

होली मिलन समारोह में राजनीति का चटक रंग
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आयोजक रख रहे एक-एक बात का ध्यान

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। होली मिलन समारोह में राजनीति का चटक रंग दिख रहा है। आयोजक छोटी-बड़ी, गली-मुहल्ले, जिले-प्रदेश सभी स्तर की राजनीति का पूरा-पूरा ध्यान रख रहे हैं।

कहने को तो होली को मतभेद और मनभेद को भुलाकर एक होने का त्योहार कहा जा रहा है। मगर, इस बार की होली में राजनीति कुछ ज्यादा ही दिख रही है। इसकी दो बड़ी वजह हैं एक उत्तराखंड में इस वर्ष होने वाले निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव है।

दूसरा राजनीतिक ठसकों वाली होली अब 2025 में ही हो सकेगी। 2024 की होली आम चुनाव की आचार संहिता के बीच होने वाली है। बहरहाल, होली मिलन समारोह में राजनीति का रंग इस कदर डाला जा रहा है कि आयोजन भोचक्के हैं। छोटी-बड़ी, गली-मुहल्ले, जिले-प्रदेश सभी को न्योता देने में उनके पसीने तो छूट ही रहे हैं।

साथ ही तमाम सावाधानियों के बावजूद समर्थकों के उलहाने भी सुनने को मिल रहे हैं। राजनीति को समझने वाले आयोजक तो एक कदम आगे बढ़कर होली मिलन समारोह को वास्तव में मिलन जैसा कर रहे हैं। हां, मंच उन्हें मिल रहा है जो शागिर्दे सफर नहीं हैं।

बहरहाल, होली पर दिख रहा राजनीति का चटक रंग कुछ पर तो होली के बाद खूब फबेगा। हां, होली मिलन की मस्ती का खास राग चुनना पड़ रहा है। जो  नाक भौं सिकोड़ रहे हैं वो करेंगे भजराम हवलदारी।

Tirth Chetna

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