श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक दिसंबर को प्रस्तावित आठवें दीक्षांत समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके तहत विश्वविद्यालय के चांसलर और वाइस चांसलर की मौजूदगी में का समारोह का ऑनलाइन पूर्वाभ्यास किया गया।
शनिवार को आयोजित दीक्षांत समारोह के ऑनलाइन पूर्वाभ्यास में विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ योगेंद्र नारायण और वाइस प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने हिस्सा लिया। दोनों आलाधिकारियों ने एक-एक व्यवस्थाओं को परखा और व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि समारोह का आयोजन ऑनलाइन माध्यम वेवक्स से किया जाएगा तथा विश्वविद्यालय के डीन , कुलसचिव तथा कुछ अन्य अधिकारी विश्वविद्यालय की प्रेक्षागृह से आयोजन में प्रतिभाग करेंगे। आयोजन समिति ने आगमी एक दिसंबर के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी तैयारियो की समीक्षा की।
पूर्व अभ्यास के दौरान वेवक्स माध्यम का उपयोग किया गया तथा चांसलर डॉ योगेन्द्र नारायण ने सभी तकनीक पहलुओ का जायजा भी लिया।कार्यक्रम में आयोजन समिति के सभी समितियों के संयोजको ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।
इस कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. एनएस पंवार,समिति के संयोजक प्रो आर सी रमोला प्रो. वाई पी रैवानी,प्रो. आरसी डिमरी , प्रो. विनोद चंद शर्मा प्रो. आर एस राणा, प्रो. जे एस चौहान, प्रो. मृदुला जुगराण,,प्रो एम एम सेमवाल ,श्वेता वर्मा, आदि ने भाग लिया ।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम एम सेमवाल ने कहा कि आठवें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक का बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित होना हमारे विश्वविद्यालय के लिए यह अत्यंत गौरव का क्षण है। उनकी साहित्यिक रचनात्मक साधना को वैश्विक सम्मान मिला है।
साथ ही कैंब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षिक सुधार हेतु उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रयासों के लिए पुरस्कृत किया जाना पूरे देशवासियों के साथ-साथ उत्तराखंड के लिए अत्यंत गौरव एवं प्रसन्नता का विषय है। आज हमारे विश्वविद्यालय के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हमारे पूर्व छात्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि हैं।
बतौर केंद्रीय शिक्षा मंत्री उन्होंने नई शिक्षा नीति2020 को लाए यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में नये युग का सूत्रपात है। यह नीति मानवीय मूल्यों के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक विकास को भी सुनिश्चित करेगी।इसमें धर्म, अध्यात्म, दर्शन, कला ,साहित्य ,विज्ञान और अनुसंधान सभी विधाओं का बोध होता है। इसमें सूत्र भी हैं और स्रोत भी हैं।
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के पुराने सहयोगी द्वारिका प्रसाद ने कहा कि वह उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति का व्यक्ति देखकर अत्यंत प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि डॉ निशंक जीवन के शुरुआती दिनों से ही सहज एवं सरल व्यक्ति थे इसीलिए वह आज इस अंतरराष्ट्रीय मुकाम पर पहुंचे हैं। डॉ निशंक के बतौर शिक्षा मंत्री रहते शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव आए हैं जो देश को एक नई दिशा देने में सहायक होंगे।