गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज गुप्तकाशी में जल संरक्षण पर कार्यशाला
नमामि गंगे के तहत स्वच्छता पखवाड़ा
तीर्थ चेतना न्यूज
गुप्तकाशी। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, गुप्तकाशी में गंगा स्वच्छता पखवाड़े” के अन्तर्गत जल-संरक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। इसमें जल राशियों की स्वच्छता और जल संरक्षण पर जोर दिया गया।
गुरूवार को जल संरक्षण पर कार्यशाला से पहले कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक डा मनोज गैड़ी ने छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को जल-संरक्षण शपथ दिलाई।
इस मौके पर डा गैड़ी ने कहा कि जल संरक्षण का तात्पर्य है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना। जल-संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण तकनीक है वर्षा जल संचयन। इसके तहत वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय या इकट्ठा किया जाता है।
डा चिन्तामणि ने कहा कि विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये भूजल संसाधनों का संवर्धन करना आवश्यक हो जाता है। डा नीतू डिमरी ने जल के अनावश्यक उपयोग को कम करने के अपील की।
उन्होंने बताया की घरों में अनावश्यक नलों को खुला न छोड़कर, कपड़े धुलने और नहाने में प्रयुक्त पानी को कम करके जल को बचाया जा सकता है। डा आजाद ने स्थानीय क्षेत्र गुप्तकाशी में पेयजल की कमी को इंगित करते हुए बताया कि हमें अपने जलस्रोतों की स्वच्छता और संरक्षण हेतु सजग होना होगा अन्यथा पेयजल की कमी पहाड़ी क्षेत्रों में निरन्तर बढ़ती रहेगी।
डा मोनिका ने पीने योग्य पानी की कमी और दूषित जल के कारण होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी। नमामि गंगे समन्वयक ने छात्र-छात्राओं को महाविद्यालय में बने वाटर हार्वेस्टिंग टैंक की क्रियाविधि से अवगत कराया।
कहा कि महाविद्यालय ने वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए 1 लाख 70 हजार लीटर के क्षमता वाले वाटर हार्वेस्टिंग टैंक का निर्माण किया है।
इस संचित जल को फिल्टर करके वाटर पम्प के द्वारा महाविद्यालय भवन की टंकी में पहुंचाकर पुनः उपयोग में लाया जा रहा है। कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने भी जल-संरक्षण से संबंधित अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यशाला का संचालन डा योगिशा ने किया।