गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज कोटद्वार भाबर में बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर कार्यशाला
कोटद्वार। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, कोटद्वार भाबर में आईक्यूएसी प्रकोष्ठ के बैनर तले बौद्धिक सम्पदा अधिकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने विचार रखे।
कॉलेज आईक्यूएसी प्रकोष्ठ एवं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योगमंत्रालय के उद्योग आन्तरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डी0वी0आई0आई0टी0)के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार गुरूवार को कार्यशाला आयोजित की गई। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. विजय कुमार अग्रवाल ने इसका शुभारंभ किया। कार्यशाला एवं आईकयूएसी के संयोजक डा. विनय देवलाल ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही छात्रों को इसके महत्व के बारे में बताया।
उन्हांने आई0पी0आर0 जागरूकता के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न करने को लेकर चर्चा की जोकि देष के विकास हेतु आवष्यक है। कार्यशाला के मुख्य वक्ता मो0 अतिकउल्ला, सहायक नियंत्रक, डीवीआईआईटी ने देश केयुवाओं में रचनात्मकता के साथ -साथ नवाचार, अनुसंधान, तथा विकास के मार्ग के रूप में बौद्धिक सम्पदा को शक्तिशाली शस्त्र के रूप में प्रयोग करने पर जोर दिया।
उन्हांने भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकार , संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए नवाचार कीओर प्रयासों को सा-हजया किया जैसे -ंउचय आई0पी0 संख्या, आई0पी0 फाईलिंग, आई0पी0 अनुदान तथा आई पी निपटान आदि सम्बन्धित सुधारों का उल्लेख किया। मो0 अतिकउल्ला ने भारत में आई0पी0आर0 सम्बन्धित जागरूकता के न होने तथा भारत में इसकी धीमी गति पर चिंन्ता जताई। उन्होने आई0पी0आर0 साक्षरता व जागरूकता पहल हेतु सरकार के प्रयासों को सराहा।
उन्होने कहा कि साहित्य , विज्ञान तथा कला सभी में नवाचार व अविश्कारों का सृजन कर तथा सांस्कृतिक विरासतों को सरंक्षित कर इसको लेकर सजग रहने पर जोर दिया। उन्होने नवाचार शिक्षा तथा उद्योग तथा आईपीआर पंजीकरण के बीच सामंजस्य को भी महत्वपूर्ण बताया तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार विभिन्न आई0पी0 तथा उसके शासकीय निकायों के विषय में जानकारी दी एवं इनके महत्व के बारे में बताया।
उन्होंने पेटेंट प्रकिया एवं पंजीकरण के बारे में जानकारी दी। पेटेंट और डिजाईन के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाओं के लिए अनेको योजनायें एवं विषेशाधिकार प्राप्ति पर प्रकाश डाला गया तथा बौद्धिक सम्पदा से जुडे , पेटेंट, डिजाईन, ट्रेडमार्क, कॉपीराईट, आदि पर विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने उत्तराखण्ड के भौगोलिक, संस्कृतिक संकेतको के पंजीकरण के महत्व भी बतायें।
डा0 उषा सिंह ने बताया की प्रोद्योगिकी के युग में बौद्धिक सम्पदा की प्रासंगिकता के साथ बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित प्रणालीयों की भूमिका अहम हो गई है। इसलिए छात्र-ंछात्राओं को इसके महत्व को समझना अतिआवश्यक है।
कार्यक्रम के अन्त में प्राचार्य प्रो0 विजय कुमार अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों तथा मुख्य वक्ता को धन्यवाद प्रेशित कर आई0पी0आर0 कार्यशाला के बहुउपयोगिताओं को अपनी संस्कृति ज्ञान व अविष्कारों को पहचान दिलवाने तथा नवीन भारत निर्माण व ज्ञान व अविश्कारों की रक्षा कर समृद्ध भारत बनाने में महत्वपूर्ण कदम बताया। उच्च षिक्षा संस्थानों के लिए आई0पी0आर0 केप्रासांगिक पहलुओं के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला का संचालन डा0 उषा सिंह ने किया। कार्यशाला में उत्तराखण्ड व अन्य राज्यों के 250 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।