आम चुनाव संपन्नः किसकी बनेगी सरकार

आम चुनाव संपन्नः किसकी बनेगी सरकार
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सुदीप पंचभैया

18 वीं लोकसभा के लिए हुआ आम चुनाव सातवें चरण के साथ संपन्न हो गया। चार जून को आने वाले नतीजों में किसकी सरकार बनेगी। खबरों का बाजार एग्जिट पोल के नाम से अनुमान परोसने लगे हैं।

18 वीं लोकसभा हेतु चुनाव सात चरणों में संपन्न हुआ। शनिवार एक जून को सातवें चरण के तहत मतदान हुआ। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था। अब मतदान के पूरे तरह से संपन्न होने के बाद देश के आम लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार किसकी बनेगी।

दरअसल, चुनाव शुरू होने से पहले मामला एकतरफा लग रहा था। ये देख उत्साहित भाजपा ने अबकी बार 400 पार का नारा भी दिया। मगर, पहले चरण के मतदान से पहले ही अबकी बार चार सौ पार का नारा हल्का पड़ने लगा था। इस नारे पर तमाम फैक्टर हावी होने लगे।

इंडिया गठबंधन नाम से विपक्ष ने भाजपनीत एनडीए गठबंधन को कड़ी टक्कर दी। परिणाम चुनाव का सातवां चरण आते-आते चुनाव की तस्वीर काफी कुछ बदल गई। चुनाव परिणाम किसी के भी हक में आए। इतना तय है कि चुनाव से पहले दिख रहा एकतरफा मुकाबला किसी भी सीट पर नहीं रहा।

बहरहाल, सातवें चरण के मतदान के समाप्त होते ही खबरों के बाजार ने एग्जिट पोल के नाम पर अनुमानों को परोसना शुरू कर दिया है। हल्का ऐज, भारी ऐज, सीट फंसी दिख रही है। यहां अलां फैक्टर और वहां फलां फैक्टर काम करते दिख रहा है की बातें चैनलों के स्टूडियो से होने लगी हैं। इंडिया गठबंधन की तमाम कमियां भी गिनाई जाने लगी।

एग्जिट पोल की दुकान में अबकी बार चार सौ पार की बात पर ही मुहर लगती दिख रही है। एग्जिट पोलों का किसी नारे से मेल खाना भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यदि वास्तव में ऐसा है तो ये भारतीय लोकतंत्र के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है। वजह एग्जिट पोल जिस तरह के रिजल्ट की ओर इशारा कर रहा है उससे साफ है कि कहीं मुकाबला ही नहीं था।

लोगों ने मोदी के 10 साल के शासन पर मुहर लगाई और उन्हें एक और मौका दिया। कई एग्जिट पोल दिखा रहे हैं कि भाजपा का वोट प्रतिशत 2014 और 2019 के मुकाबले बढ़ गया है। इसका सीधा सीधा मतलब है कि 10 साल की एंटीइंकबेंसी भी नहीं थी। रोजगार, महंगाई, खेती किसानी, अग्निवीर, सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन और भाजपा की राज्य सरकारों की तमाम नाकामियों को भी लोगों ने नजरअंदाज कर फिर से मोदी के नाम पर वोट दिया।

एग्जिट पोल चुनाव परिणाम का जैसा अनुमान दिखा रहा है कि उससे ये स्पष्ट होता है कि भारतीय लोकतंत्र में अब केवल सत्ता के लिए ही स्थान है। विपक्ष को जनता चाहती नहीं है या अब विपक्ष की जरूरत ही नहीं है। लोकतंत्र में अच्छी सरकार चुनने को अधिकार आम जन को होता है। साथ मजबूत विपक्ष चुनना उसकी जिम्मेदारी। यदि वास्तव में चार जून का चुनाव परिणात एग्जिट पोल के अनुमान के आस-पास रहते हैं तो समझा जाना चाहिए कि अब भारत में सत्तापक्ष ही सब कुछ है।

Tirth Chetna

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