गवर्नमेंट पीजी कॉलेज गैरसैंण में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

गवर्नमेंट पीजी कॉलेज गैरसैंण में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
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पाश्चात्य वैचारिक एवं साहित्य अंर्तसंबंध प्रभाव

तीर्थ चेतना न्यूज

गैरसैंण। उत्तराखंड भाषा संस्थान और गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गैरसैंण के संयुक्त तत्वावधा में पाश्चात्य वैचारिक एवं साहित्य अंर्तसंबंध प्रभाव विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हो गया।

मंगलवार संगोष्ठी में पहुंवे विद्धानों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगोष्ठी संयोजक डॉक्टर गिरजेश कुमार द्वारा आमंत्रित मंचासीन अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया और संगोष्ठी की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

संगोष्ठी जेएनयू दिल्ली के डॉ० मलखान सिंह पाश्चात्य वैचारिकी पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय पर हिंदी साहित्य से अंतरसंबंध पर अपने विचारों से शोधार्थियों को अवगत कराते हुए हिंदी साहित्य पर किए जा रहे कार्यों तथा उससे होने वाले प्रभाव से अवगत कराया तथा साहित्य की रचना किस प्रकार की जाए तथा उनसे पढ़ने वाले प्रभाव एवं उत्कृष्ट साहित्य तैयार किए जाने के संबंध में सभी को अवगत कराया।

उत्तराखंड भाषा संस्थान देहरादून की उपनिदेशक सुश्री जसविंदर कौर उपनिदेशक ने सभी आमंत्रित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आमंत्रित सभी साहित्यकारों और शोधार्थियों को संस्थान की योजनाओं से अवगत कराया गया तथा सभी को अपने सुझाव से संस्थान को अवगत कराये जाने के लिए अनुरोध किया।

डा. तरुण कुमार द्वारा अपने वक्तव्य में बताया गया कि आज की वर्तमान पीढ़ी आलोचना को भूलती जा रही है इस समय ऐसे प्रमुख विषय में संगोष्ठी के लिए धन्यवाद व्यापित किया गया। उन्होंने बताया कि वैचारिकी और साहित्य का गहरा संबंध है,जो कि व्यक्ति के विचारों को का आईना भी होता है। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉक्टर स्नेह ठाकुर, प्रवासी साहित्यकार कनाडा द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रवासी साहित्य से सभी को अवगत कराया है तथा भारतीय साहित्य में पाश्चात्य प्रभाव पर प्रकाश डाला ।

संगोष्ठी में महाविद्यालय की छात्राओं ने स्थानीय लोक गीत के पर सुंदर प्रस्तुति से सभी को मंत्र मुग्ध किया। संगोष्ठी में प्रवासी साहित्यकार डॉ० जय वर्मा द्वारा अपने वक्तों में बताया गया कि ब्रिटेन में की जा रहे प्रवासी साहित्य भारतीय साहित्य ज्ञान परंपरा विश्व में सबसे पुरानी संस्कृति और सभ्यता है। संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ के ०एन०बरमोला नहीं कहा कि आपकी पहचान है।नितिन कुमार ,मोहम्मद तैयब कुलदीप नेगी , अमर,देव सभी मदन जोशी, विनीता, आदि मौजूद रहे। 

Tirth Chetna

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