ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय की शोध टीम ने प्रस्तुत किया हल्दी का गाजणा प्रोडक्ट

ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय की शोध टीम ने प्रस्तुत किया हल्दी का गाजणा प्रोडक्ट
Spread the love

प्रो. आशीष थपलियाल के नेतृत्व वाली टीम का शानदार कार्य

तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। उत्तराखंड की भूमि में उच्च कुर्कुमिन युक्त हल्दी का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव है। इसे ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय की शोध टीम ने गाजणा प्रोजेक्ट तौर पर करके साबित कर दिया। अब शोध टीम इससे आगे काम कर रही है।

सोमवार को ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शोध टीम द्वारा उत्पादित कुर्कुमिन हल्दी का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल ने शोध टीम के कार्यों की सराहना की। कहा कि गाजणा प्रोडक्ट अभिनव प्रयोग है। कहा कि पलायन रोकने के लिये देने होंगे रोजगार परख विकल्प गाँव के अन्दर, तभी गाँव की सुदृढ़ आर्थिकी होगी, रुकेगा पलायन और बंजर भूमि होगी गुलज़ार।

ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय जसोला शोध टीम के कार्यों की सराहना की। कहा कि विगत कई वर्षों से विश्वविद्यालय शोध कार्यों में जुटा है व इस तरह का प्रयास बहुत ही प्रोत्साहित करने वाला है, इससे शोध जगत में भी क्रांति आएगी ।

लाइफ साइंसेज के विभागाध्यक्ष प्रो० पंकज गौतम ने विभाग में हो रही शोध के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि 2016 से शुरू हुए इस नये विभाग ने बहुत कम समय में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बना लिया है. द टर्मारिक प्रोजेक्ट – परियोजना के निदेशक प्रो० आशीष थपलियाल ने बताया कि उनकी टीम अगले चार सालों में 150 टन क्षमता तक का प्रोडक्शन करने की योजना बना रही है।
इसके लिये वो खुद भी खेतों में काम करते है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जैव प्रोद्योगिकी तकनीक के माध्यम से धरातल में उतरा जायेगा और इस पूरी परियोजना का केंद्र बिंदु है उत्तराखंड के पहाडी इलाकों में मेहनत करने वाले किसान।

उन्होंने बताया कि वो 2008 में अमेरिका से लौटने के पहले से ही गांव से जुड़े हैं और पहाड़ों में किसान को जंगली जानवरों से फसलों को बहुत नुकसान होता देख रहे हैं। हल्दी की खेती पर जोर देने की ये बड़ी वजह है। क्योंकि इसको बन्दर और गुणी नुकसान नहीं करता और जंगली जानवर भी इसको ज्यादा पसंद नहीं करते तथा इसको बाजार में कई रूप में अच्छी कीमत पर बेचा जा सकता है।

खेत में रहने पर भी ये दो या तीन साल तक आराम से बिना ज्यादा मेहनत के उग जाती है. उन्होंने जोर देकर कहा की कोई भी प्रयास बिना सरकार की मदद से अधुरा होता है वर्तमान में जरूरत है उत्तराखंड सरकार की इस विषय पर एक सकारात्मक पहल  की।

इस प्रोडक्ट को गाँव में उगा कर बाज़ार तक लाने में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज उत्तरकाशी की प्रोफेसर मधु थपलियाल के प्रमुख भूमिका रही। छोटी उम्र में ही जिला पंचायत में एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी प्रो. मधु गांवों से अच्छे से जुड़ी हैं। उनके उच्च शिक्षा एवं आम जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधि होने के अनुभवों की वजेह से यह परियोजन अपना साकार रूप ले रही है।

इस शोध टीम के द्वारा उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों से अधिक कुर्कुमिन युक्त हल्दी को एक स्टार्ट-अप (आई० आई० टी० रूडकी के टाइड के माध्यम से एम० एस० एम० ई० डायरेक्टरेट ऑफ़ इंडस्ट्रीज, उत्तराखंड सरकार द्वारा स्टार्ट अप का दर्जा प्राप्त) के माध्यम से बाज़ार में लाई गई है।

इस टीम का मार्गदर्शन यूकास्ट के पूर्व डी० जी० डा० राजेंद्र डोभाल ने किया है तथा इस शोध कार्य को आगे बढाने के लिये प्रो० डा० कमल घन्शाला, संस्थापक ग्राफ़िक एरा ग्रुप एवं प्रो० डा० संजय जसोला, कुलपति ग्राफ़िक एरा डीम्ड वि० वि० देहरादून का योगदान है. हाल ही में, 15 अगस्त 2022 को प्रो० डा० कमल घन्शाला ने अपने उद्बोधन में किसानो के लिए काम करने की पहल की थी। शोध टीम के मेम्बेर्स हैं डा० उपेन्द्र शर्मा, आई० एच्० बी० टी० (सी० एस० आई० आर०) पालमपुर, हिमाचल प्रदेश, प्रो० मनु पन्त बडोनी, डा० प्रभाकर सेमवाल, ग्राफ़िक एरा डीम्ड वि० वि० तथा प्रो० मधु थपलियाल, रा० महा० वि० उत्तरकाशी. इस परियोजन में सचिन पंवार एवं दीपक राणा ने प्रोजेक्ट स्टाफ की अहम् भूमिका निभायी है।

इस प्रोडक्ट का नाम गाजणा पट्टी के नाम पर “गाजणा” – रखा गया है क्योंकि उस स्थान पर एक फ़ील्ड स्टेशन जिसका नाम टेक्नोलॉजी रिसोर्स सेंटर (टी० आर० सी०) है – को स्टार्ट अप द्वारा प्रो० डा० कमल घन्शाला, संस्थापक ग्राफ़िक एरा ग्रुप आर्थिक सहायता एवं यूकास्ट की मदद से स्थापित किया गया है. टी० आर० सी० का उद्देश्य भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत वोकल फॉर लोकल और स्टार्ट उप उत्तराखंड पहल को साकार करना है जहाँ लैब में हो रही शोध एवं टेक्नोलॉजी को गाँव तक ले जाया जा सके।

इस टीम के यूकोस्ट के कार्डिनेटर डा० डी० पी० उनियाल, जॉइंट डायरेक्टर, डा० आशुतोष मिश्रा तथा डा० अपर्णा सरीन हैं. इस शोध में डा० विनय नौटियाल दृ रा० महा० वि० गोपेश्वर, प्रो० सुपती मझाव नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी शिल्लोंग दृ श्री लीजो थॉमस दृ आई० आई० एस० आर० कोज़िकोदाई केरल का भी सहयोग रहा है. कार्यक्रम में प्रो० भास्कर पन्त, डीन रिसर्च, प्रो० विकास त्रिपाठी, प्रो० निशांत राय, प्रो० नविन कुमार, विभाग के सभी शोधार्थियों, समस्त प्राध्यापक वर्ग तथा १०० से अधिक छात्रों ने प्रतिभाग किया।

Tirth Chetna

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *