फर्जी राशन कार्ड और फर्जी वोटर्स की उत्तराखंड में भरमार

देहरादून। उत्तराखंड में फर्जी राशन कार्ड का खुलासा हो चुका है। अब ऐसे ही खुलासे की जरूरत वोटर्स की भी होनी चाहिए। दावे के साथ कहा जा सकता है फर्जी वोटर्स का आंकड़ा राशन कार्ड को पीछे छोड़ देगा।
21 सालों में उत्तराखंड खाला का घर बनकर रह गया है। मूल/स्थायी निवास के घालमेल ने इसे खूब प्रमोट किया। राशन कार्ड और वोटर कार्ड इसके माध्यम बनें। वोट के लालच में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से इसे खूब शह मिली। कई सफेदपोश इस खेल में शामिल हैं।
फर्जी राशन कार्डों का मामला पकड़ में आ गया है। हिमालयी राज्यों में फर्जी राशन कार्ड के मामले में उत्तराखंड टॉप पर है। करीब साढ़े छह लाख राशन कार्ड फर्जी पाए गए हैं। भले ही सत्यापन के बाद ये आंकड़ा सामने आया हो। मगर, जानकारी में ये बात पहले से थी।
सिस्टम ने कभी इस पर मुंह नहीं खोला। इसकी वजह राजनीतिक दबाव रहा है। राजनीतिक दलों ने वोट के लालच में इस खेल को खूब प्रोत्साहित किया। राशन कार्ड जैसा मामला वोटर्स का भी है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी बन चुके कई लोगों के पास दूसरे राज्यों के वोटर कार्ड भी हैं। पंचायत, निकाय, विधानसभा और आम चुनाव में इनका खूब उपयोग होता है।
राज्य के भीतर भी ये खेल खूब हो रहा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुछ लोग वोट दूसरे जिले और विधानसभा और आम चुनाव में दूसरे जिले में वोट कर रहे हैं। इसकी गंभीरता से जांच हो तो बड़ा मामला सामने आ सकता है। साथ ही सही-सही तस्वीर भी सामने आ सकेगी।