बजट खर्च की प्रक्रिया ने बढ़ा दिया शिक्षकों का काम
पहले सामान और फिर बिल के लिए शिक्षक काट रहे चक्कर
तीर्थ चेतना न्यूज
पौड़ी। स्कूलों को विभिन्न मद में शासन/ विभाग से मिलने वाली धनराशि के खर्च करने की प्रक्रिया ने शिक्षकों के लिए एक और काम बढ़ा दिया है। शिक्षक पहले सामान के लिए दुकानदारों/आपूर्तिकर्ता के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
स्कूलों को मिलने वाले बजट को खर्च करने की प्रक्रिया अजीबोगरीब है। इसमें पहले स्कूलों को मद के हिसाब से बाजार ( दुकानदार/ आपूर्तिकर्ता/ निर्माणाचार्य) तलाशना हैै। बाजार को अपनी आवश्यकता बतानी है। इसके बाद दुकानदार के खाते मंे ऑनलाइन तरीके धनराशि डालनी है।
धनराशि दुकानदार तक पहुंच गई या नहीं इसकी पुष्टि करानी है। आपूर्ति करने से पहले दुकानदार/ आपूर्तिकर्ता/ निर्माणाचार्य को धनराशि मिलने पर बाजार का रवैया क्या होता होता है बताने की जरूरत नहीं है। ऐसे अधिकांश मामलों में स्कूलों में समय से सामान नहीं पहुंच रहा है।
दरअसल, एक स्कूल से सामान के लिए ऑडर और भुगतान एक साथ होने से दुकानदार/ आपूर्तिकर्ता अपने स्तर से अन्य स्कूलों से भी संपर्क के प्रयास करते हैं। ताकि व्यापार और बढ़े। इस चक्कर में आपूर्ति में विलंब समेत तमाम अन्य बातें भी हो रही हैं।
सामान की आपूर्ति के लिए फिर स्कूलों को दुकानदार/ आपूर्तिकर्ता/ निर्माणाचार्य के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बाद समय से बिल उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। ये बात जरूर है कि ऑनलाइन भुगतान पारदर्शी व्यवस्था है। मगर, सामान की आपूर्ति से पहले भुगतान अजीबोगरीब व्यवस्था है। इससे कम से कम प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों की तमाम व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।