जूनियर हाई स्कूलों में शिक्षक छात्र अनुपात के स्थान पर विषय बनें मानक

जूनियर हाई स्कूलों में शिक्षक छात्र अनुपात के स्थान पर विषय बनें मानक
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से राज्य के जूनियर हाई स्कूलों में शिक्षक छात्र अनुपात मानकों में शिथिलता की मांग की है। शिक्षक छात्र अनुपात के स्थान पर विषय को मानक बनाने पर जोर दिया।

राजकीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षको की नियुक्ति का मानक छात्र शिक्षक अनुपात न मानकर विषय अध्यापक का मानक को प्राथमिकता देकर शिथिलता बरतने की मांग की है।

कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में जब अस्तित्व में आया आज उसी के आधार पर मानक तय है जो देश के समस्त राज्यांे के लिए है लेकिन उतराखंड राज्य अपनी भौगोलिक स्तिथि औऱ पहाड़ी जनपदों में रोजगार के न्यून अवसरों के कारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुए 16 वर्षाे से लगातार पलायन की मार झेल रहा है।

सुदूर क्षेत्रों में जनसंख्या सहित छात्र संख्या में लगातार विद्यालयों में छात्र संख्या घट रही है छात्र संख्या घट ही नही रही है बल्कि लगातार पलायन की मार झेलते राजकीय विद्यालय बन्द होने के कगार पर हैं। ऐसे में आर टी ई के मानकों को उतराखंड जैसे राज्य में लागू करना है छात्र एवम शिक्षको के भविष्य के प्रति खिलवाड़ है ।

शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को समाप्त करने की योजना है प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने यह भी अवगत कराया कि राइट टू एजुकेशन 2009 में लागू हुआ जिसमे स्पष्ट उल्लेख है कि कम से कम प्रत्येक जूनियर हाईस्कूल में तीन शिक्षक नियुक्त होना अनिवार्य है।

तीन से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति न की जाय कही भी उल्लेख नही है। 15 वर्षों में विद्यालयों की दशा और विद्यालयों के इर्द गिर्द बसावट (वर्ष 2009 औऱ 2025) में अंतर धरती और आसमान जैसा है। जिस स्तिथि से निदेशालय क ेअधिकारी वर्ग सहित शासन प्रशासन वाकिब है।

इस बीच निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा उतराखंड द्वारा छात्र शिक्षक अनुपात पर पत्र जारी करना संदेह पैदा करता है निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा द्वारा आर टी ई मानकों के अनुरूप जारी पत्र में छात्र शिक्षक अनुपात पर आपत्ति दर्ज करते हुए प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बयान जारी कर कहा कि उतराखंड राज्य में प्राथमिक , हाईस्कूल और इंटर मीडिएट कॉलेज सहित उच्च शिक्षा में डिग्री कालेज एवम समस्त शिक्षा से जुड़े संस्थानों में प्रधानध्यापक/प्राचार्य का पद स्वीकृत है लेकिन राजकीय जूनियर हाईस्कूलों के लिए प्रधानध्यापक पद छात्र संख्या के मानक पर तय करना उतराखंड के शिक्षा निदेशालय से लेकर उतराखंड शासन व सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होना लाजमी है।

माध्यमिक विद्यालय में चाहे छात्र संख्या 20 ही क्यों न हो वहाँ प्रधानाध्यापक सहित आठ पदों का सृजन उतराखंड शासन द्वारा किया गया है वहाँ हर छात्र को प्रत्येक विषय का अलग विषय अध्यापक की नियुक्ति का प्राविधान है क्योंकि मुख्य धारा से पिछड़ चुके छात्र को यदि हर विषय का विशेषज्ञ मिल रहा है तो यही असली शिक्षा का अधिकार ह।

प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उसका स्वागत औऱ दिल से अभिनंदन करता है यदि उसी वर्ग का छात्र यदि जूनियर हाइस्कूलो में अध्ययनरत है तो उसके लिए छात्र संख्या का मानक तय करना औऱ उसे प्रत्येक विषय का अध्यापक उपलब्ध न कराना गरीब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से बंचित करना और बेसिक शिक्षको के पदोन्नति के रास्ते बंद करना जैसा कदम है और शासन और विभाग की मंशा पर सवाल होना लाजमी है।

एक प्रदेश में आखिर दोहरी ब्यवस्था क्यो? जहां विषय वस्तु का पाठ्यक्रम एक ,अलग अलग कैडर के विद्यालयों में बच्चे को अलग अलग शिक्षा देना, निदेशालय सहित विभाग की बेसिक शिक्षा के प्रति लापरवाही औऱ गहन चिन्तन की कमी है प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उतराखंड स्पष्ट मांग करता है कि माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर जूनियर हाइस्कूलो में प्रधाध्यापक ,विज्ञान -गणित , भाषा हिन्दी- संस्कृत ,भाषा अंग्रेजी , सामान्य विषय के शिक्षको की नियुक्ति करने एवम बेसिक शिक्षको के दूसरी पदोन्नति के अवसरो को सीमित करने के बजाय प्रतेयक जूनियर हाइस्कूलो में प्रधानध्यापक पद की पदस्थापना कर पदोन्नति के अवसर बढाने की मांग करता है।

वास्तव में यदि सरकार शासन व विभाग नौनिहालों के भविष्य के लिए चिंतित है प्रत्येक बच्चे को वास्तव में यदि शिक्षा का अधिकार देना चाहते है तो प्रत्येक जूनियर हाइस्कूलो में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक विषय भाषा गणित अंग्रेजी हिंदी संस्कृत व सामाजिक विषय औऱ विद्यालय के मुखिया के रूप में प्रधानध्यापक की पदस्थापना कर प्रतेयक जूनियर हाईस्कूल में 5 पदों की ब्यवस्था सुनिश्चित की जाय। तभी उतराखंड में असहाय औऱ निर्धन बच्चों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम की सही परिकल्पना की जा सकती है।

उतराखंड में प्रति शिक्षक 35 छात्र संख्या का मानक इस पलायन की दौड़ में उतराखंड के कुछ मात्र 15 प्रतिशत मैदानी जनपदों में संभव हो सकता है 85 प्रतिशत पहाड़ी जनपदों में कही भी किसी भी सूरत सम्भव नही है क्योंकि पहाड़ी जनपदों में पलायन रोज़गार की कमी सहित अनेक कारण लगातार छात्र संख्या घटने के कारण है प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उतराखंड छात्र एवं शिक्षक हित मे निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा उतराखंड से उतराखंड से छात्र शिक्षक अनुपात पर जारी पूर्व पत्र पर पुर्न विचार कर उचित निर्णय लेने की मांग करता है।

Tirth Chetna

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